बुरहानपुर-बात है मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से 20 किमी दूर असीरगढ़ किले के सामने बने ऐतिहासिक शिव मंदिर की जहाँ मोहम्मद जहीर 12 महीने शिव मंदिर की देखरेख वैसे ही करते हैं जैसे दरगाह की, सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जहीर यहां सेवा देते हैं, लेकिन कभी भी उन्होंने धर्म की बाधा को आड़े नहीं आने दिया …
मंदिर परिसर की सफाई तथा गर्भगृह में शिवलिंग पर पड़े हार-फूल भी बदलते हैं यह देख लोग उनसे धर्म की बाधा के बारे में प्रश्न जरूर करते हैं वह भी सहजता से जवाब देते हैं, ईश्वर-अल्लाह एक हैं इनमें फर्क नहीं …
40 वर्षीय जहीर जी यहां छह साल से सेवा दे रहे हैं और कहते हैं जब मुझे मंदिर में काम करने का अवसर मिला तो इसे कैसे छोड़ सकता था ? उन्होंने बताया यहां कोई स्थायी पंडित नहीं है और जो पर्यटक शिवजी की पूजा करने यहां आते हैं, उनके द्वारा चढ़ाई गई फूलमालाएं बदलने का काम भी मैं ही करता हूं इसके अलावा साफ-सफाई तो करना ही है …
इसके अलावा इस मंदिर से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित दरगाह पर भी जहीर सेवा देते हैं यह दरगाह भी पुरातत्व विभाग के अधीन है जहीर कहते हैं मेरे लिए जैसी दरगाह है, वैसा ही शिव मंदिर भी …
दोनों ही जगह बराबर ध्यान देता हूं रमजान या ईद का दिन भी मंदिर की सेवा के आड़े नहीं आता उन्होंने बताया मेरे पांच बच्चे हैं उन्हें भी इस तरह की एकता को बनाए रखने की सीख दूंगा …
“””तो अब आप समझ ही गए होंगे कि “धर्म” कोई भी हो और कोई भी भगवान हों सब एक ही हैं … सोच है हमारी कि हम इस बात को कैसे समझते हैं लेकिन हमारे देश और पूरी दुनिया को सबसे ज्यादा जरूरत है ऐसे ही “जहीर भाइयों” की जो पूरी दुनिया के अल्लाह और भगवान को एक बनाकर पूजें और समस्त दुनिया को एक कर दें जैसी दुनिया हमें भगवान ने शुरू मैं दी थी
पत्रकार विशाल की वाल से