नई दिल्ली, 8 जून (आईएएनएस)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को कहा कि नरेंद्र मोदी के एक साल के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र, उद्योग, कृषि और सेवाएं, गहरे संकट में हैं।
माकपा ने एक बयान में कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावों के विपरीत वास्तव में भारत की विशाल जनता की जीविका की स्थितियों में गिरावट आती जा रही है।
पार्टी ने बयान में कहा कि कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के बाद भी पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि के कारण खाद्य पदार्थो सहित सभी जगह महंगाई बढ़ रही है।
छह और सात जून को पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि मई 2014 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद आर्थिक बदलाव का सरकार का दावा झूठा है।
बयान में कहा गया कि निवेश और उपभोक्ता मांग दोनों स्थिर है, जिससे बेरोजगारी की स्थिति बिगड़ती ही जा रही है।
पार्टी ने कहा, “मेक इन इंडिया के प्रचार के बावजूद शेयर बाजार और प्रत्यक्ष उत्पादन दोनों क्षेत्रों में विदेशी निवेश में गिरावट आई है।” साथ ही पार्टी ने अपने बयान में कहा कि देश में कृषि संकट गहराता जा रहा है।
माकपा ने कहा कि पिछले एक साल में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण बढ़ा है।
माकपा ने बयान में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अथवा भाजपा के प्रमुख नेताओं को राज्यों का राज्यपाल बना दिया गया है, जिससे केंद्र और राज्यों के रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं।
पार्टी ने बयान में कहा, “दिल्ली में चुनी हुई राज्य सरकार और केंद्र सरकार में उप-राज्यपाल के माध्यम से नौकरशाहों की तैनाती को लेकर टकराव चल रहा है।”