पटना, 1 मई (आईएएनएस)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना कोई भी वादा पूरा नहीं कर पाए हैं।
कन्हैया ने पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “महंगाई से कोई राहत नहीं मिली है, न तो लोगों को रोजगार मिला है।” इस कार्यक्रम में कन्हैया को काले झंडे दिखाए गए।
कन्हैया ने कहा कि बोलने की आजादी उनका अधिकार है। उन्होंने कहा कि मोदी ने दूसरे देशों में जमा काले धन को वापस लाने का वादा किया था और कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपये जमा कराए जाएंगे।
कन्हैया ने हिंदी में दिए अपने 80 मिनट के भाषण में कहा, “मैं हर रोज अपना बैंक खाता जांचता हूं, लेकिन मोदी द्वारा वादा किए गए 15 लाख रुपये अभी तक नहीं आए हैं।”
आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कन्हैया ने पूछा, “मोदी जी हम आखिर कबतक चुप बैठे रहेंगे और आप के खिलाफ नहीं बोलेंगे।”
जिस समय कन्हैया खचाखच भरे एस.के. मेमोरियल हाल में बोल रहे थे, दो युवकों ने काले झंडे लहराए और भारत माता की जय के नारे लगाए।
कन्हैया के समर्थकों ने दोनों युवकों की जमकर पिटाई कर दी, जबकि कन्हैया ने ऐसा न करने से समर्थकों से बार-बार अनुरोध किया।
पुलिस ने युवकों को हिरासत में ले लिया। युवक कथित रूप से एक हिंदू संगठन से जुड़े हुए हैं।
जेएनयू के छात्रनेता ने कहा कि वह किसी भी चीज से भयभीत नहीं हैं।
उन्होंने कहा, “चाहे आप मुझ पर जूता फेंकिए या पत्थर या मेरा विरोध कीजिए, मैं बोलता रहूंगा। इस तरह के विरोध से मैं हतोत्साहित नहीं होने वाला।”
कन्हैया ने कहा कि “मोदी भक्ति और देशभक्ति” में फर्क करने की आवश्यकता है।
कन्हैया ने कहा कि गरीब जनता को मुश्किल से बैंक ऋण मिल पाता है, सिर्फ पूंजीपतियों को बैंकों से मनचाहा ऋण मिल जाता है। वे ऋण चुकाते भी नहीं और रातोंरात उड़कर लंदन चले जाते हैं। कन्हैया उद्योगपति विजय माल्या का जिक्र कर रहे थे, जिनके ऊपर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये ऋण बकाया है और वह इस समय ब्रिटेन में हैं।
कन्हैया ने इन आरोपों का भी खंडन किया जिनमें कहा गया है कि उन्होंने एक जनसंपर्क अधिकारी नियुक्त कर रखा है, उनके पास आईफोन है और वह विमान में बिजनेस क्लास में सफर करते हैं।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “मेरा कोई जनसंपर्क अधिकारी नहीं है, मुझे उसकी क्या जरूरत? जो लोग ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं, वे उस ताकतवर गुट का हिस्सा हैं, जो मेरे अभियान के खिलाफ हैं, जो मैंने जेनयू और देश भर के 8,000 छात्रों के साथ मिलकर शुरू किया है।”
कन्हैया ने स्पष्ट किया कि देश के किसी भी हिस्से की यात्रा के लिए वह स्वयं खर्च नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मेरी यात्रा का खर्च आयोजनकर्ता उठाते हैं, जो मुझे अपने विरोध प्रदर्शन में शामिल होने और सभा को संबोधित करने के लिए आमंत्रित करते हैं। सीधी-सी बात है कि मेरे पास विमान का टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।”
कन्हैया को फरवरी में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह आरोप संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की बरसी पर जेएनयू परिसर में आयोजित कार्यक्रम के संदर्भ में लगाया गया था।
आरोप यह भी था कि कार्यक्रम में कन्हैया और अन्य लोगों ने देश विरोधी नारे भी लगाए थे।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मार्च में कन्हैया को इस शर्त पर छह माह के लिए जमानत दे दी कि वह राष्ट्रविरोधी प्रकृति वाली किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे।
जेएनयू ने फरवरी वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कन्हैया पर 10,000 रुपये अर्थदंड लगाया है और तीन अन्य छात्रों को निष्कासित कर दिया है।
कन्हैया ने कहा, “मैं एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का बेटा हूं और मेरे पिता लकवाग्रस्त हैं। मैं जेनयू के सैकड़ों छात्रों की मदद से किसी तरह गुजारा कर रहा हूं।”
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के सफाईकर्मियों और मैला ढोने वाले एक समूह ने जेएनयू प्रशासन द्वारा उन पर लगाया गया जुर्माना अदा करने के लिए 10,000 रुपये इकठ्ठा किए हैं।
कन्हैया ने कहा, “मैंने उन्हें धन्यवाद कहा और बताया कि मैं जुर्माना नहीं दूंगा। उनके द्वारा एकत्रित की गई रकम साबित करती है कि अगर आप किसी लक्ष्य के लिए सही दिशा में कदम बढ़ाएंगे तो इस देश के लोग आपकी मदद के लिए आगे आएंगे। यह भारत की खूबसूरती है।”
कन्हैया ने कहा कि उनके बैंक खाते में केवल 200 रुपये हैं।
उन्होंने कहा, “कोई भी आरटीआई (सूचना का अधिकार) दाखिल करके मेरे बैंक खाते के बारे में जानकारी ले सकता है।”