नई दिल्ली, 26 फरवरी (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा समिति (सीसीएस) की बैठक हुई। यह बैठक पाकिस्तान के इस दावे की खबरें सामने आने के मद्देनजर हुई जिसमें कहा गया है कि भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमानों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार की और पाकिस्तान में बम गिराने के बाद लौट आए।
भारतीय लड़ाकू विमानों द्वारा बालाकोट में मंगलवार तड़के किए गए हमलों को लेकर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया की आशंका के मद्देनजर भारतीय वायुसेना के सभी सैन्य अड्डे हाई अलर्ट पर हैं।
सूत्रों ने कहा कि सीमा के पास के और अंदर वायु सेना किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर किसी भी घुसपैठ से निपटने के लिए वायु रक्षा प्रणाली को सक्रिय कर दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि हवाई राडार पाकिस्तान के अंदर की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।
मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसे) अजीत डोभाल और सरकार के अन्य अधिकारी शामिल हुए।
हाल ही में सेवानिवृत्त हुए कुछ प्रमुख दिग्गजों ने इस कदम की सराहना की है।
सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने ट्वीट किया, “आज सुबह 12 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने बालाकोट में आतंकी शिविरों पर हवाई हमले किए। 1,000 किग्रा बम इस्तेमाल हुए। पाकिस्तान ने स्वीकार किया है। नीचे पोस्ट की गई तस्वीरें देखें।”
पूर्व मिलिट्री ऑपरेशन महानिदेशक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने कहा कि भारत ने हवाई हमले करके स्पष्ट रूप से राजनीतिक और सैन्य इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और पाकिस्तान सेना को सबक सिखाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे भारत के खिलाफ आतंकी हमलों को अंजाम न दें।
उन्होंने आगे कहा, “पिक्चर अभी बाकी है।”
इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक आसिफ गफूर ने मंगलवार तड़के एक ट्वीट में इस बात की पुष्टि की कि भारतीय वायुसेना के विमान पाकिस्तान एयरफोर्स (पीएएफ) द्वारा खदेड़े जाने पर जल्दबाजी में बालाकोट के पास बम गिरा कर लौट गए।
पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद यह घटनाक्रम सामने आया है। हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।