नई दिल्ली, 22 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने ताशकंद जाएंगे। चीन के नेतृत्व वाले इस समूह में भारत का सदस्य बनना तय है। मोदी इस बैठक से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिलने वाले हैं। उम्मीद है कि इस मुलाकात के दौरान वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का मुद्दा उठाएंगे।
ताशकंद में एससीओ सम्मेलन 23-24 जून को होना है। छह सदस्यीय इस समूह में भारत को शामिल करने का निर्णय पिछले साल रूस के उफा में हुए सम्मेलन में लिया गया था।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) सुजाता मेहता ने कहा कि सम्मेलन में भारत की एससीओ में शामिल करने की प्रक्रिया इसके मूल दस्तावेज, जिसे ‘मेमोरेंडम ऑफ ऑब्लिगेशंस’ के नाम से जाना जाता है, पर हस्ताक्षर से शुरू होगी।
मेहता ने कहा,” एससीओ सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री कल (गुरुवार को) ताशकंद जाएंगे। इस सम्मेलन की शुरुआत रात्रिभोज और सांस्कृतिक कार्यक्रम से होगी। वह उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति और एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष इस्लाम करिमोव से मुलाकात करेंगे।”
एससीओ एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें चीन, रूस और चार मध्य एशियाई गणतंत्र कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान शामिल हैं।
इस सम्मेलन में एससीओ का पहली बार नए सदस्यों को स्थायी सदस्य बनाने के लिए विस्तार किया जाएगा। भारत और पाकिस्तान को सदस्य बनाया जाना है। अफगानिस्तान, ईरान और मंगोलिया एससीओ के पर्यवेक्षक हैं।
एससीओ की सदस्यता भारत के मध्य एशियाई सदस्यों से ऊर्जा सहयोग को प्रोत्साहन देगी।
जिनपिंग के अलावा मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे।
मेहता ने कहा कि भारत एससीओ से वर्ष 2005 से ही जुड़ा है। तब भारत ने पहली बार पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया था।
मेहता ने बताया कि एससीओ के विस्तार पर वर्ष 2010 में ही निर्णय लिया गया था। वास्तव में इसका फैसला 2014 में लिया गया और उसी साल भारत ने सदस्य के रूप में शामिल होने के लिए आवेदन कर दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को स्वदेश लौट आएंगे।