नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि ऐसा लग रहा है कि वह अपनी पार्टी के सहयोगियों की गलतियों पर पर्दा डाल रहे हैं। इससे उनकी साख और उनके राजनैतिक प्रभाव पर बुरा असर पड़ रहा है।
माकपा के आधिकारिक मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के संपादकीय में लिखा गया है, “अगर संसद सार्वजनिक पदों पर विराजमान लोगों को जवाबदेह नहीं बनाएगी तो फिर और कौन बनाएगा।”
विपक्ष पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी की मदद करने के आरोप में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का इस्तीफा मांग रहा है। व्यापमं महाघोटाले की वजह से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की भी मांग की जा रही है।
संपादकीय में कहा गया है कि भाजपा हालात को बेशर्मी के साथ अपनी इस शिकायत के हवाले कर देना चाह रही है कि विपक्ष की हरकतें आलोकतांत्रिक और संसदीय लोकतंत्र के लिए घातक हैं।
संपादकीय में लिखा गया है, “इस तरह की बात दोमुंहापन और पूरी तरह से गलत है। इसी भाजपा ने 15वीं लोकसभा में संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का रिकार्ड बनाया था।”
माकपा का मानना है कि कांग्रेस सांसदों के निलंबन ने आग में घी डालने का काम किया है।
संपादकीय में कहा गया है, “नरेंद्र मोदी और भाजपा को यह बात समझनी होगी कि ललितगेट और व्यापमं से इतनी जल्दी पीछा छुड़ना उसके लिए आसान नहीं होगा।”
संपादकीय में कहा गया है, “सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे की तमाम मदद के बावजूद एक दिन यही सरकार ललित मोदी के भारत प्रत्यर्पण और उन्हें कानून के कटघरे में खड़ा करने पर बाध्य होगी।”
संपादकीय में कहा गया है, “क्या मोदी सरकार व्यापमं के फैले उस जाल के प्रति अंधी बनी रह सकती है, जिसे अब हत्यारा घोटाला जैसा डरावना नाम दिया जाने लगा है और मुख्यमंत्री शिवराज को ‘शवराज’ कहा जाने लगा है।”