नई दिल्ली, 18 मई (आईएएनएस)। चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह को क्लीन चिट देने पर अपनी असहमति के कारण के आदर्श आचार संहिता से संबंधित बैठकों से खुद को दूर रखने का निर्णय लिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों से पता चला है कि चुनाव आयुक्त लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि अल्पसंख्यक निर्णयों को रिकॉर्ड नहीं किया जा रहा है इसलिए वे पूर्ण आयोग की बैठकों से दूर रहने के लिए मजबूर हैं।
उन्होंने इसी महीने के पहले सप्ताह से आदर्श आचार संहिता से संबंधित सभी बैठकों से खुद को दूर रख लिया है।
लवासा ने अपने पत्र में जोर देकर कहा कि वे बैठकों में तभी शामिल होंगे जब उनके अल्पसंख्यक निर्णयों को आयोग के निर्णयों में शामिल किया जाए।
सूत्रों ने कहा कि लवासा ने प्रधानमंत्री के चार भाषणों और अमित शाह के एक भाषण को क्लीन चिट दिए जाने के निर्णय पर असहमति जताई थी।
2:1 के बहुमत वाले पूर्ण आयोग ने भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं पाया था।
चुनाव आयोग ने चार मई को कहा कि मोदी ने गुजरात के पाटन में 21 अप्रैल को दिए अपने भाषण में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार ने भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान को मजबूर कर दिया था।
यह उनका छठा भाषण था जिसे चुनाव आयोग द्वारा क्लीन चिट दी गई। आयोग ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में मोदी के उस भाषण में भी कुछ गलत नहीं पाया जिसमें उन्होंने कथित रूप से कांग्रेस को डूबता जहाज बताया था।
इससे पहले चुनाव आयोग ने वर्धा में एक अप्रैल को मोदी के उस भाषण को भी क्लीन चिट दे दी थी जिसमें उन्होंने केरल की अल्पसंख्यकों की बहुलता वाली सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोला था।
चुनाव आयोग ने 9 अप्रैल को लातूर में पहली बार वोट डालने जा रहे मतदाताओं से पुलवामा के शहीदों के नाम अपना वोट समर्पित करने की उनकी अपील पर भी उन्हें क्लीन चिट दे दी थी।