अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत को चेतावनी दी कि वह तभी सफल होगा, जब धार्मिक आधार नहीं बंटेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दो दिनों की बातचीत के अंत में उन्होंने कहा कि धर्म के पालन की आजादी मौलिक अधिकार है.
बराक ओबामा ने सिरीफोर्ट सभागार में करीब 2,000 चुनिंदा लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हर किसी को बिना किसी डर के अपने धर्म के पालन का अधिकार होना चाहिए. अमेरिकी राष्ट्रपति ने ध्यान दिलाया कि हिन्दू बहुल भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. ओबामा ने कहा, “यह इतना अहम और कहीं नहीं है, जितना भारत में, मौलिक मूल्यों की रक्षा के लिए यह कहीं और इतना जरूरी नहीं.” राष्ट्रपति ने कहा, “भारत तभी तक सफल रहेगा जब तक वह धार्मिक आधार पर बंटता नहीं है.”
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन वहां सांप्रादायिक दंगों का इतिहास रहा है. धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा पिछले संसदीय चुनावों में हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद विवादों में आ गया है. अमेरिका ने गुजरात में 2002 में हुए दंगों की वजह से जिसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे, तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था और उनका वीजा रद्द कर दिया था.
मोदी ने दंगों में किसी प्रकार की भूमिका होने से इनकार किया है और भारतीय अदालतों ने उन्हें हर आरोप से बरी कर दिया है. लेकिन दंगों को रोकने में प्रशासन की विफलता और दंगों के लिए माफी मांगने से मोदी के इनकार ने अविश्वास और संदेह की विरासत छोड़ी है. हाल में ईसाइयों और मुसलमानों के धर्मांतरण के घरवापसी अभियान के खिलाफ खुलकर नहीं बोलने के लिए भी मोदी की आलोचना हुई है. ओबामा ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना सरकारों और लोगों की जिम्मेदारी है. “हमारे राष्ट्र मजबूत होंगे यदि हम समझें कि हम सब ईश्वर की संतान हैं, उनकी नजरों में सभी बराबर हैं.”
अपने भाषण में ओबामा ने विश्वास जताया कि दोनों देश न केवल स्वाभाविक साझेदार हैं बल्कि आने वाले दिनों में सर्वश्रेष्ठ साझेदार बनेंगे. उन्होंने भारत और अमेरिका के संविधान, लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनौतियों का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए कहा कि विश्व में शांति और स्थिरता तभी स्थापित होगी जब दो मजबूत लोकतंत्र एकजुटता के साथ खड़े होंगे.
विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति ओबामा के भाषण का स्वागत करते हुए कहा कि उनका मुख्य संदेश भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता एवं धर्मनिरपेक्षता की रक्षा एवं सम्मान था. पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि सरकार को भी समझना चाहिए कि ओबामा क्या कह रहे हैं, उन्होंने भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, यहूदी आदि धर्मों तथा विभिन्न भाषायी समुदायों के मिलजुल कर समान अधिकारों के साथ रहने और अपने-अपने धर्मों का स्वतंत्रतापूर्वक पालन करने के अधिकारों की सराहना की है
आभार -dw.de से
संपादन-अनिल सिंह