प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि लंबे-चौड़े दावे करने वाली भाजपा की ‘परिवर्तन रैली’ में भाड़े की भीड़ व टिकटार्थियों के जमावड़े के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी की लखनऊ रैली भीड़ व भाषण दोनों ही लिहाज से फ्लॉप साबित हुई है।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने लोगों की कम भीड़ को भांपते हुए केवल लगभग 40 हजार कुर्सियों का ही इंतजाम किया था और इन कुर्सियों में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों के ही लोग डटे थे। उन्होंने कहा कि यह रैली ‘कुर्सियों वाली रैली’ ही साबित हुई।
उन्होंने कहा कि रैली में जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पीएम मोदी के ‘यूपी वाला’ होने के बारे में भाड़े की भीड़ से बार-बार झकझोर कर पूछा तो भी कोई मोदी जी को यूपी वाला मानने को तैयार नहीं था।
अपने जारी बयान में मायावती ने कहा कि रैली में पीएम मोदी का संबोधन भी ज्यादातर वही पुराना व घिसा-पिटा रहा। लोगों का आशा थी कि वह नववर्ष पर कुछ नया बोलेंगे, लेकिन पीएम ने नई उम्मीद देने के बजाय नववर्ष में पेट्रोल, डीजल व रसोईगैस के दाम बढ़ाकर लोगों की कमर तोड़ने वाले तोहफे दिए हैं। ऊपर से कैशलेस पेमेंट में 5 फीसदी टैक्स जो कटेगा, सो अलग। मोदी सरकार की जितनी आलोचना की जाए कम है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि देश में कालाधन, भ्रष्टाचार व नकली नोट खत्म करने की आड़ में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘नोटबंदी’ कर दी। जिसके 50 दिन की मियाद भी पूरी हो गई, लेकिन अब भी प्रधानमंत्री हवा-हवाई खोखली बातें कर रहे हैं, जो पीड़ित जनता को मंजूर नहीं है।
उन्होंने सवाल किया कि भाजपा अपना हिसाब-किताब देश की जनता को क्यों नहीं दे रही है? उसने 8 नवंबर की नोटबंदी से पहले अपने अकूत धन का कहां-कहां और कैसे बंदोबस्त किया, कितनी संपत्ति खरीदी और नोटबंदी के बाद कितना धन ठिकाने लगाया, यह जनता को बताए।
मोबाइल एप ‘भारत इंटरफेस फार मनी’ (भीम) को लेकर बसपा मुखिया ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री के नीयत साफ होती तो इसका उपनाम भीम करने के बजाय सीधा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखते।