वाराणसी-एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के गरीब-गुरबों की बातें करते हैं, तो दूसरी तरफ फाइव स्टार आयोजन के नाम पर जनता के करोड़ों रुपये पानी में बहा दिए जाते हैं। गुरुवार को प्रधानमंत्री का वाराणसी दौरा रद्द होने के बाद कुछ ऐसा ही वाकया सामने आया है।
बारिश के कारण गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा एक बार फिर रद्द हो गया, जिसके साथ ही देश की जनता की गाढ़ी कमाई का कुल 17 करोड़ रुपया आयोजन व्यवस्था के साथ ही नाले की भेंट चढ़ गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बीते एक महीने के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र का दौरा दूसरी बार बारिश के कारण रद्द करना पड़ा है, जिसके कारण उनकी अगवानी के लिए आयोजन व्यवस्था में लगे करोड़ों रुपये भी बारिश के पानी के साथ ही नाले में बह गए।
यदि जिले के स्थानीय अधिकारियों तथा प्रोटोकॉल अधिकारियों की मानें, तो इस दौरान खजाने को 17 करोड़ रुपये की चपत लगी है। मोदी के रद्द कार्यक्रम पर हुए खर्च दो कारणों से चौंकानेवाले हैं।
पहला, मोदी अक्सर जो बातें करते हैं यह उसके बिल्कुल विपरीत है। जबकि दूसरा कारण यह है कि यदि कोई दौरे को खर्च के रूप में गणना करे, तो चार घंटे 35 मिनट के लिए प्रति मिनट का खर्च 6.18 लाख रुपये, जबकि प्रति सेकंड का खर्च 10,333 रुपये बैठता है।
बीते 28 जून को भारी बारिश के कारण मोदी के कार्यक्रम के रद्द होने के बाद इस बार आयोजकों ने अपना होमवर्क बिल्कुल अच्छी तरह कर लिया था और डीरेका ग्राउंड में जर्मन हैंगर की तरह छह विशेष शामियाने लगाए थे। ये शामियाने वाटर तथा फायर प्रूफ थे और इनकी लागत नौ करोड़ रुपये आई थी। मोदी तथा सहयोगियों के लिए दिल्ली से वातानुकूलित शौचालय भी मंगवाए गए थे।
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर आयोजकों ने आईएएनएस से कहा कि उमस भरे मौसम को ध्यान में रखते हुए कुल 100 टन क्षमता वाले एयरकंडीशन को डीरेका में रखा गया था। कुल 125 किलोवोल्ट एम्पियर (केवीए) बिजली प्रदान करने के लिए 10 विशेष जेनरेटरों का भी इंतजाम किया गया था, जिससे बजट पर और दबाव पड़ा। वहीं, वीवीआईपी को उमस भरे मौसम से राहत प्रदान करने के लिए एयरकंडीशन तथा जनता के लिए 100 कूलर व दो हजार पंखे लगाए गए थे।
एक अधिकारी ने चुटकी लेते हुए कहा कि छह केवीए के 10 तथा पांच केवीए के पांच जेनरेटर 1.4 मेगावाट बिजली पैदा करेंगे, जो सामान्य स्थितियों में एक हजार परिवारों की बिजली की जरूरतें पूरी कर सकता है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री की सुरक्षा तथा विशेष सुरक्षा गार्ड (एसपीजी) के ठहराव, परिवहन व अन्य मदों में चार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए।
शामियाने के पीछे वाई-फाई की सुविधा से पूर्ण एक मिनी-पीएमओ की भी व्यवस्था की गई, जहां से मोदी विकास परियोजनाओं की शुरुआत करते। 20 हजार लोगों को देखने के लिए 15 एलईडी स्क्रीन तथा एक उच्च क्षमता वाले साउंड सिस्टम ने भी आम आदमी की जेब काटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।