बसपा मुखिया ने कहा कि चुनावों के दौरान और केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद भी, भाजपा के नेता व मंत्री लगातार उत्तेजना फैलाने वाली बयानबाजी करते रहे और लोगों को ऐसा लगा था कि भाजपा के शासनकाल में खासकर पाकिस्तान के संबंध में भारत की नीति में स्थिरता आएगी, लेकिन मोदी के शासनकाल में भी पाकिस्तान से ताल्लुकात पर नीतियां लगातार बदलती रही हैं।
उन्होंने कहा कि कोई भी नीति प्रभावी होती हुई नजर नहीं आ रही है, जिससे देश में एक प्रकार से उसी प्रकार का उदासीन माहौल है, जिस प्रकार से गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई आदि की ज्वलंत समस्याओं का सही समाधान नहीं होने के कारण देशभर में उदासीनता फैली हुई है।
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार पर निशान साधते हुए बसपा मुखिया ने कहा कि “जनसेवा, जनहित व जनकल्याण’ के साथ-साथ ‘अपराध-नियंत्रण व अच्छी कानून-व्यवस्था’ कभी भी इस सरकार की प्राथमिकता में नहीं रही है। इसी कारण इनके जनविरोधी कार्यकलापों से पूरे प्रदेश में हर स्तर पर एक प्रकार से अराजकता का माहौल है।
मायावती ने कहा कि इस सपा सरकार के नेता नुमाइशी तौर पर साइकिल चलाने, परिवार को प्रोमोट करने और फैमिली शो, ‘सैफई महोत्सव’ में इस कदर व्यस्त रहते हैं कि प्रदेश के लगभग दो लाख पुलिस फोर्स के मुखिया यानी नया पुलिस प्रमुख को भी सही समय पर नियुक्त करने की इनको थोड़ी फुर्सत नहीं मिली।
मायावती ने कहा कि वैसे तो उत्तर प्रदेश पुलिस के नए महानिदेशक का कैरियर रिकार्ड एक योग्य, कर्मठ व ईमानदार अफसर का रहा है, लेकिन असल समस्या यह कि इस प्रकार के अनेक कर्तव्यनिष्ठ अफसर चाहे आईएएस हों या आईपीएस या फिर अन्य किसी ओहदे के अधिकारी, उन्हें यहां सपा सरकार में कानून के हिसाब से ईमानदारीपूर्वक काम करने ही नहीं दिया जाता है।
मायावती ने कहा कि यहां सपा सरकार की नकेल गुंडों, माफियाओं, अत्याचारी, जातिवादी व भ्रष्ट सपा नेताओं के हाथ में रही है और इसी कारण अच्छे व ईमानदार सिविल या पुलिस अधिकारी इन आपराधिक व अराजक तत्वों का कोपभाजन लगातार ही झेलते रहते हैं।
बसपा मुखिया ने कहा कि निचले स्तर पर जिलों, ब्लाकों व तहसीलों में एक जाति विशेष के अधिकांश ऐसे भ्रष्ट आचरण वाले लोगों को तैनात कर दिया गया है जो न स्वयं सही से ईमानदारीपूर्वक अपना काम करते हैं और न ही उस संबंध में अपने वरिष्ठ अधिकारियों की सुनते हैं।
मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाकर अयोध्या में अपनी मनमानी करने का काला धब्बा खासकर भाजपा के नेताओं पर लगा हुआ है, लेकिन सपा सरकार के भी लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में गलत बयानी करके एक ‘काला कारनामा’ अंजाम दिया है।
मायावती ने कहा कि इसके साथ ही, उच्च सरकारी आयोगों आदि पर भी ऐसी नियुक्तियां की गई हंै जो बेहद विवादित रहीं और आखिरकार उच्च न्यायालय की दखल देकर वैसी नियुक्तियों को रद्द करनी पड़ी और फिर अपने आदेश को लागू कराने में समय लगाना पड़ा।
मायावती ने कहा कि एक तरफ भाजपा के रवैये के कारण प्रदेश का सांप्रदायिक माहौल लगातार खराब होता जा रहा है, तो दूसरी तरफ सपा सरकार इन चिंताओं से बिल्कुल मुक्त नजर आ रही है। यह सपा-भाजपा की आपसी मिलीभगत का ही परिणाम प्रतीत होता है।