मेलबर्न, 11 फरवरी (आईएएनएस)। शोधकर्ताओं का कहना है कि मोटापे से होने वाले नुकसान मां से बच्चे में स्थानांतरित हो सकते हैं, लेकिन एहतियात रखकर इसे रोका भी जा सकता है।
शोधों से पता चला है कि महिलाओं में मोटापा प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। इससे गर्भधारण में तो परेशानियां पेश आती ही हैं, गर्भस्थ शिशु के विकास में भी बाधा पहुंचती है।
ऑस्टेलिया की युनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड की प्रोफेसर रिबेका रॉबकर ने बताया कि अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि मोटी महिलाओं के लिए भी प्रजनन क्षमता और गर्भधारण की संभावनाओं को सामान्य बनाने के लिए भविष्य में इलाज ढूंढ़ा जा सकता है। साथ ही मोटापे से होने वाले नुकसान को पीढ़ी दर पीढ़ी आनुवांशिक रूप से बच्चों में स्थानांतरित होने से भी रोका जा सकता है।
रॉबकर ने कहा, “अध्ययन में हमें एक ऐसी प्रक्रिया के बारे में पता चला, जिससे मोटापे का नुकसान मां से बच्चे में स्थानांतरित होता है और ऐसा होने से रोका भी जा सकता है।”
मानव शरीर में सभी माइट्रोकॉड्रिया मां के शरीर से ही प्राप्त होते हैं। ऐसे में मां यदि मोटी हो, तो खिंचाव उत्पन्न होता है, जिससे माइट्रोकॉड्रिया के संचरण में बाधा पहुंचती है।
रॉबकर ने कहा, “जब हमने माइट्रोकॉड्रिया के संचरण प्रक्रिया में ऊतकों में उत्पन्न खिंचाव का पता लगाया, तो खिंचाव को कम करने वाले यौगिकों का इस्तेमाल किया। ये यौगिक मधुमेह की बीमारी के इलाज में भी सक्षम पाए गए हैं।”
रॉबकर ने बताया कि ये यौगिक ऊतकों के खिंचाव को कम करने में कारगर हैं और इसके इस्तेमाल से मोटापे के नुकसान को मां से बच्चे में स्थानांतरित होने से रोका जा सकता है।
यह अध्ययन जर्नल डेवलपमेंट में प्रकाशित हुआ है।