पणजी, 13 जनवरी (आईएएनएस)। एलजीबीटी समुदाय में दिए गए बयान की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर हो रही आलोचनाओं के बीच गोवा के खेल एवं युवा मामलों के मंत्री रमेश तावडकर ने मंगलवार को अपनी सफाई में कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया।
तावडकर ने सोमवार को कहा था कि समलैंगिक (एलजीबीटी) युवाओं को उपचार की आवश्यक्ता है।
उन्होंने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि वह मादक पदार्थो के आदी युवाओं की बात कर रहे थे, न कि लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर (एलजीबीटी) समुदाय के बारे में।
तावडकर ने कहा, “मैं एलजीबीटी युवाओं के बारे में बात नहीं कर रहा था, बल्कि मादक पदार्थो के आदी और यौन-दुर्व्यवहार में फंसे युवाओं की बात कर रहा था।”
उल्लेखनीय है कि मंत्री तावडकर ने गोवा राज्य युवा नीति 2015 के उद्घाटन समारोह में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि गोवा सरकार शराब व्यसन की तर्ज पर एलजीबीटी युवाओं को सामान्य व्यवहार में वापस लाने के लिए केंद्रों की स्थापना पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा था, “हम उन्हें प्रशिक्षित करेंगे और दवाएं भी उपलब्ध कराएंगे।”
तावडकर के इस बयान ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया, सोशल मीडिया और विपक्षी पार्टियों के बीच बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।
ट्विटर पर हैशटैग क्लिनिकभरो के माध्यम से तावडकर के बयान का हर तरफ विरोध हो रहा है।
एक ट्वीट में लिखा गया, “क्या वे गोवा में सैमलैंगिक क्लिनिक के लिए समुद्र तट के पास जमीन आवंटित कर रहे हैं? तब तो दूसरे मरीजों के साथ एक डुबकी लगानी बनती है। क्लिनिकभरो एनोनिमसएलजीबीटी।”
एक अन्य ट्वीट के अनुसार, “आशा है कि गोवा सरकार की क्लिनिक में महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग कक्ष होंगे। एडमिटएलजीबीटीएनोनिमस क्लिनिकभरो।”
राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी तावडकर के बयान को अवैज्ञानिक, असंगत और मूर्खता भरा करार देते हुए आलोचना की है।
कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गादास कामत ने कहा, “हर किसी के पास जीवन अपनी मर्जी से जीने का अधिकार है। यह बयान 2013 में बाबा रामदेव द्वारा दिए गए बयान के जैसा ही है, जिसमें उन्होंने समलैंगिकता के उपचार की बात कही थी। क्या गोवा में भाजपा सरकार रामदेव के नक्शेकदम पर जा रही है?”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।