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 मृत्युदंड का सामना कर रहा कैदी 30 वर्ष बाद रिहा | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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मृत्युदंड का सामना कर रहा कैदी 30 वर्ष बाद रिहा

न्यूयार्क, 4 अप्रैल (आईएएनएस)। अलाबामा में 1985 में दो व्यक्तियों की हत्या के लिए निंदा का पात्र बने एंथोनी रे हिंटन 30 वर्ष तक जेल में बिताने के बाद रिहा हो गए। नई सुनवाई में पाया गया कि वह एक ऐसे अपराध में जेल में कैद है जिसे उसने किया ही नहीं था।

समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, अफ्रीकी मूल के अमेरिकी हिंटन (59) के दोस्तों और परिवार ने बर्मिघम में जेफरसन काउंटी जेल से उसके बाहर आने पर बधाई दी।

हिंटन का मुकदमा 1985 का है, जब उस इलाके में स्थित फास्ट फूड के एक रेस्त्रॉ में हिंसक लूटपाट की कई घटनाएं हुई थीं और रेस्त्रॉ के प्रबंधकों जॉन डेविडसन और थॉमस वैन वासन की हत्या कर दी गई थी।

तीसरे लूटपाट में घायल होने वाले कामगार ने हिंटन की पहचान शूटर के रूप में की थी और उसकी गवाही और संदिग्ध की मां के घर से एक बंदूक पाए जाने के बाद अभियोजक ने उसके खिलाफ मामला बनाया, जो उसे मृत्युदंड की सजा तक ले गया।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, बंदूक का डेविडसन और वासन की हत्या में और तीसरे प्रतिष्ठान में दो को घायल करने में प्रयुक्त हुआ। दोनों घायलों ने उसकी पहचान की।

हिंटन को कोई अपराध नहीं होने के बावजूद मृत्युदंड की सजा मिली थी। सफलता पूर्वक उसकी पॉलिग्राफी जांच और तीसरी घटना की रात के बारे में उसके बॉस और साथी कामगारों ने यह गवाही भी दी थी कि उसके लिए ऐसा करना कहीं से भी संभव नहीं हो सकता है, क्योंकि उस समय वह काम पर मौजूद था।

वर्ष 2002 में समान न्यायिक पहल के उनके वकीलों ने पाया कि हिंटन की मां के घर से मिली बंदूक का इस्तेमाल हत्या में नहीं किया गया था। वर्ष 2014 में अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नई सुनवाई का रास्ता साफ करने के बाद वैधानिक अड़चन खत्म हो गई।

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