लखनऊ , 20 अप्रैल (आईएएनएस)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मिर्जा मोहम्मद अतहर ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ से कोई छेड़छाड़ चाहे वह अदालत की ओर से हो या हुकूमत की ओर से हो उचित नहीं है। इससे अल्पसंख्यकों का जो भरोसा हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्षता पर है, वह कमजोर होगा।
यह बातें अतहर ने सोमवार को प्रेसक्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में कही। उन्होंने कहा कि इस्लामी कानून में किसी भी प्रकार के संशोधन की गुंजाइश नहीं है। हिंदुस्तान का कानून यहां के बसने वाले हर शहरी को इस बात की इजाजत देता है कि वह अपने ‘अकायत’ व ‘नजरयात’ के अनुसार, जिंदगी गुजारे। इन बातों की रोशनी में अदालतों का भी फर्ज बनता है कि वह फैसला सुनाते समय मसले के हर पहलू पर नजर रखे।
मौलाना मोहम्मद अतहर ने कहा कि अप्रैल 2015 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने जो शमीमा फारूखी बनाम शाहिद खान के मामले में सुनाया गया है। इसने मुसलमानों में एक बार फिर बेचैनी पैदा कर दी है। आज से लगभग 30 साल पहले शाह बानो केस में इसी प्रकार का फैसला हुआ था। अब फिर सुप्रीम कोर्ट ने इसी प्रकार का फैसला सुनाया है।
मोहम्मद अतहर ने कहा कि मुसलमानों का यह फर्ज बनता है कि वह इस्लाम के फ्रेमवर्क में रहते हुए अदालतों के फैसलों और बहुसंख्यकों की भावनाओं को देखते हुये जहां तक समन्वय बना सकते हैं, उन्हें बनाना चाहिए, ताकि इस्लाम के बारे में यह गलत भ्रम न फैले कि वह एक कट्टरपंथी मजहब है।
उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने निकाहनामे में दो शर्तें ऐसी रखी हैं कि अगर शादी से पहले औरत वह शर्तें अपने होने वाली पति से मनवाकर निकाह करे तो औरत को हर वक्त तलाक लेने का अधिकार हासिल रहेगा और वह अपनी तलाक का सीगा जब चाहे जारी करवा सकती है।