काहिरा अपराध न्यायालय ने साल 2011 में राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को सत्ता से बेदखल करने के लिए किए गए आंदोलन के दौरान जेल ब्रेक कांड में संलिप्तता के लिए जून में मौत की सजा सुनाई थी।
न्यायालय ने मुस्लिम ब्रदरहुड के 100 अन्य सदस्यों तथा समर्थकों को दो से चार साल तक जेल की सजा सुनाई थी।
मुर्सी के अलावा, मुस्लिम ब्रदरहुड के शीर्ष प्रमुख मोहम्मद बदी तथा अन्य चार प्रमुख समूहों के नेताओं को मौत की सजा सुनाई गई थी।
इस्लामी वकीलों ने जासूसी मामले में मुर्सी की मौत की सजा तथा कारावास के फैसले के खिलाफ अपील दायर की। इस मामले में मुर्सी को 25 साल जेल की सजा सुनाई गई है, जबकि 35 अन्य को एक साल से लेकर सात साल तक जेल की सजा सुनाई गई है।
बचाव दल के वकीलों ने जेल ब्रेक तथा जासूसी कांड में मुर्सी को सुनाई गई सजा के फैसले को चुनौती देने के 180 कारण प्रस्तुत किए।