नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘राधा कैसे न जले’, ‘जरा-सा झूम लू मैं’, ‘कभी तो नजर मिलाओ’ जैसे खूबसूरत गीत दे चुकीं आशा भोंसले हिंदी फिल्म जगत की मशहूर पाश्र्व गायिका हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म-जगत को कई शानदार गीत दिए हैं।
नई दिल्ली, 8 सितंबर (आईएएनएस)। ‘राधा कैसे न जले’, ‘जरा-सा झूम लू मैं’, ‘कभी तो नजर मिलाओ’ जैसे खूबसूरत गीत दे चुकीं आशा भोंसले हिंदी फिल्म जगत की मशहूर पाश्र्व गायिका हैं। उन्होंने हिंदी फिल्म-जगत को कई शानदार गीत दिए हैं।
आशा की आवाज में विशेषता है कि उन्होंने शास्त्रीय संगीत, कव्वाली, भजन, गजल और पॉप संगीत हर क्षेत्र में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है।
आशा ताई के नाम पहचानी जाने वाली आशा भोंसले ने अब तक के अपने फिल्मी सफर में 16000 गीतों को अपनी मधुर आवाज से संवारा है। वह सिर्फ हिंदी ही नहीं बल्कि मराठी, बांग्ला, गुजराती, पंजाबी, तमिल, मलयालम, अंग्रेजी और रूसी भाषाओं के गीत भी गाती हैं।
फिल्मों के अलावा, उन्होंने कई निजी अलबमों और कई भारतीय और विदेशी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।
आशा भोंसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ में हुआ। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक एवं नायक थे। उनके पिता ने बेहद छोटी उम्र से ही उन्हें संगीत की तालीम देना शुरू कर दी थी।
आशा ताई जब महज 9 वर्ष की थी, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार मुंबई आकर रहने लगा। उनकी एक बड़ी बहन हैं, लता मंगेशकर-जो हिंदी सिनेमा स्वर कोकिला के नाम से जानी जातीं हैं।
पिता की मृत्यु के बाद दोनों बहनों के कंधो पर परिवार का बोझ आ गया, जिस कारण उनकी बड़ी बहन लता ने गाना और फिल्मों मे अभिनय शुरू कर दिया।
आशा भोंसले ने महज 16 साल की उम्र में गणपत राव भोंसले से शादी कर ली थी। उन्होंने घर से बगावत कर यह शादी की थी, इस कारण उन्हें अपना घर भी छोड़ना पड़ा था। उनकी यह शादी असफल रही।
वर्ष 1960 में हुए अलगाव के बाद आशा अपनी मां के घर दो बच्चों और तीसरे गर्भस्थ शिशु के साथ लौट आई।
इसके बाद वर्ष 1980 में उन्होंने राहुल देव वर्मन से विवाह किया। राहुल और आशा दोनों का ही इससे पहले एक- एक विवाह तूट चूका था, राहुल आशा से 6 वर्ष बड़े थे।
उन्होंने राहुल देव वर्मन की अंतिम सांसो तक उनका साथ निभाया।
आशा भोंसले ने अपने करियर की शुरुआत में काफी संघर्ष किया, उन्होंने अपने शुरुआती करियर में बी-सी ग्रेड की फिल्मों के लिए गीत गाए। उन्होंने अपना पहला गीत वर्ष 1948 में रिलीज हुई फिल्म ‘चुनरिया’ से ‘सावन आया’ नामक गीत गाया।
आशा को सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड ने चुना गया। वर्ष 2000 में भारतीय सरकार द्वारा उन्हें ‘दादा साहेब फाल्के अवार्ड’ और 2008 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया।
वर्ष 2013 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘माई’ के साथ अभिनय की शुरुआत की, जिसमें उन्हें काफी सराहा गया।
आशा भोंसले गायिका के अलावा अच्छी कुक भी हैं। खाना बनाना उनका पसंदीदा शौक है। बॉलीवुड के बहुत सारे लोग आशा के हाथों से बने खाने की फरमाइश भी करते हैं।
वह सफल रेस्तरां संचालिका है। उनके रेस्तरां दुबई और कुवैत में आशा नाम से प्रसिद्ध है। ‘वाफी ग्रुप’ द्वारा संचालित रेस्तरां में आशा जी की 20% भागीदारी है। वाफी सीटी दुबई और दो रेस्तरां कुवैत में पारंपरिक उत्तर भारतीय व्यंजन के लिए प्रसिद्ध है।
उल्लेखनीय है कि 1997 ब्रिटिश लोकप्रिय बैंड ने एक गाना रिलीज किया। यह गाना आशा भोंसले को समर्पित था, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिट हुआ और फरवरी, 1998 में यु. के. सिंगल्स चार्ट पर प्रथम भी रहा। इस गाने के कई रीमिक्स भी बने हैं।
हिंदी सिनेमा की बेहतरीन पाश्र्व गायिका होने के साथ-साथ आशा बेहद अच्छी मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं। वह लता मंगेशकर और गुलफाम अली की खूब नकल करती हैं।
आशा भोंसले ने 18 नॉमिनेशन में से 7 फिल्म फेयर अवार्ड जीते है। उन्होंने अपने पहले 2 अवार्ड 1967 और 1968 में जीते है। उन्होंने कई फिल्म फेयर बेस्ट प्लेबैक अवार्ड और लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड भी हासिल किए।
उन्होंने 1987 में नाइटीनेंगल ऑफ एशिया अवार्ड (इंडो पाक एशोशिएशन यु.के.),1989 में लता मंगेशकर अवार्ड (मध्य प्रदेश सरकार), 1997 में स्क्रीन वीडियोकॉन अवार्ड (जानम समझा करो- एल्बम के लिए), 1998 में दयावती मोदी अवार्ड,1999 में लता मंगेशकर अवार्ड (महाराष्ट्र सरकार), 2000 में सिंगर ऑफ द मिलेनियम (दुबई),2000 में जी गोल्ड बॉलीवुड अवार्ड (मुझे रंग दे- फिल्म तक्षक के लिए)से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा, वर्ष 2001 में एम.टी.वी. अवार्ड (कमबख्त इशक – के लिए), 2002 में बी.बी.सी. लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड (यू.के. प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर द्वारा प्रदत), 2004 में लाईविग लीजेंड अवार्ड (फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑग कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के द्वारा), 2005 में एम.टी.वी. ईमीज, बेस्ट फीमेल पॉप ऐक्ट (आज जाने की जिद न करो), 2005 में मोस्ट स्टाइलिश पीपुल इन म्यूजिक के लिए पुरस्कार जीते।