माले, 15 मार्च (आईएएनएस)। मालदीव उच्च न्यायालय ने रविवार को पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की गिरफ्तारी आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया, वहीं विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने घोषणा की है कि उनकी रिहाई के लिए वह राष्ट्रव्यापी सविनय अवज्ञा अभियान शुरू करेगी।
नशीद के समर्थक राजधानी में एकत्रित हुए और उनकी गिरफ्तारी तथा सजा के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया, वहीं मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने कहा कि अदालत के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए।
समाचार एजेंसी ‘सिन्हुआ’ के मुताबिक, राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि मालदीव के कानून के तहत नशीद को इस सजा के खिलाफ अपील करने का संवैधानिक अधिकार है।
यामीन के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, “सरकार अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों का आह्वान करती है कि वे देश में लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों को मजबूती प्रदान करने के लिहाज से आपसी सम्मान और संवाद पर आधारित रचनात्मक आदान-प्रदान जारी रखें।”
उच्च न्यायालय ने नशीद की गिरफ्तारी आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया, क्योंकि सुनवाई को सार्वजनिक न किए जाने पर विरोध जताते हुए उन्होंने अपने अपील की पहली सुनवाई के लिए अदालत जाने से इंकार कर दिया।
मालदीव की प्रसारण कंपनी वीन्यूज ने कहा कि रविवार को दोपहर दो बजे सुनवाई होनी थी, जिसके पहले नशीद के कानूनी दल ने अदालत से आग्रह किया कि वे खुली व सार्वजनिक तौर पर सुनवाई करें। हालांकि सुनवाई के दौरान केवल नशीद के कानूनी दल व उनके परिवार को अदालत में जाने की मंजूरी दी गई।
समाचार वेबसाइट के मुताबिक, अदालत द्वारा खुली सुनवाई के आग्रह को ठुकराए जाने के बाद नशीद ने अदालत में जाने से इंकार कर दिया।
नशीद ने आपराधिक अदालत की उस गिरफ्तारी के आदेश के खिलाफ अपील की है, जिसमें कहा गया है कि आतंकवाद संबंधी इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक उन्हें हिरासत में ही रहना होगा, क्योंकि उनका इतिहास अदालत से बचने का रहा है।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को 13 साल जेल की सजा सुनाई गई है।
आपराधिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला मोहम्मद को जनवरी 2012 में सैन्य हिरासत में रखने के मामले में उन्हें यह सजा सुनाई गई है।
मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान शुक्रवार रात यह फैसला सुनाया गया।
मिनीवान न्यूज के मुताबिक, “फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश अब्दुल्ला दीदी ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत से सिद्ध होता है कि नशीद ने मुख्य न्यायाधीश को गिरफ्तार करने या अपहरण करने तथा गिरीफूशी द्वीप में हिरासत में रखने का आदेश दिया।”
नशीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ने कहा कि लगभग तीन सप्ताह चला यह मुकदमा पूरी तरह राजनीति से प्रेरित था, जिसकी व्यापक स्तर पर मालदीव और विदेशों में भी आलोचना हुई है।
एमडीपी के प्रवक्ता हामिद अब्दुल गफूर ने कहा कि नशीद को अपना कानूनी पक्ष रखने और अपील करने के अधिकार से लगातार वंचित रखा गया।
प्रवक्ता ने कहा कि नशीद के पक्ष में गवाही देने वालों को अपना पक्ष रखने से रोका गया और अभियोजन पक्ष के गवाहों को नियमित रूप से न्यायाधीशों और पुलिस द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
नशीद की कानूनी टीम ने पिछले सप्ताह इस्तीफा दे दिया था। उनका आरोप था कि अदालत ने उन्हें बचाव की तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया, जिसके कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है।
श्रीलंका में अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि वह उन रपटों से परेशान है, जिसके मुताबिक नशीद के मामले की सुनवाई मालदीव के कानून के आधार पर नहीं हुई। वहीं ब्रिटेन ने भी इस घटना पर चिंता जताई है।
गौरतलब है कि नशीद मालदीव में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पहले राष्ट्रपति (2008) रहे। लेकिन फरवरी 2012 में उनका तख्तापलट कर दिया गया था।