नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे किराए पर क्यों नहीं लिए जा सकते। न्यायालय ने इस मुद्दे पर एक विस्तृत रपट भी मांगी है।
नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे किराए पर क्यों नहीं लिए जा सकते। न्यायालय ने इस मुद्दे पर एक विस्तृत रपट भी मांगी है।
न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने कहा कि यदि सरकार किसी दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष के लिए कैमरे लगा सकती है, तो महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता।
अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने न्यायालय से कहा कि इस महीने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौरे से पूर्व शहर भर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे किराए पर लिए गए थे। ओबामा गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे।
जैन ने यह भी कहा कि गणतंत्र दिवस परेड के पूर्व 850 कैमरे लगाए गए थे, न कि 15,000 कैमरे, जैसा कि याचिका में कहा गया है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा, “किराए पर लेकर 850 कैमरे लगाए गए थे। यह किसी और की संपत्ति थी, हमने उसे किराए पर लिया था।”
न्यायालय जैन की बात से सहमत नहीं हुआ, और पूछा, “यदि आप एक व्यक्ति के लिए सीसीटीवी कैमरे लगा सकते हैं, तो दिल्ली में हजारों और लाखों महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्यों नहीं।”
न्यायालय ने बाहरी दिल्ली इलाकों में बढ़ते अपराधों को लेकर भी चिंता जताई है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस से कहा कि शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की एक कार्ययोजना तैयार की जाए।
न्यायालय का यह निर्देश अधिवक्ता मीरा भाटिया की याचिका पर आया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार चूंकि इन कैमरों को लगाने पर पहले ही धन खर्च चुकी है, लिहाजा इन कैमरों को लगाए रखा जाए और इन्हें हटाया न जाए।
याचिका में कहा गया है, “यह स्पष्ट है कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति मांग करती है कि इन कैमरों को कुछ रणनीतिक स्थलों से हटाया न जाए, खासतौर से दिल्ली के प्रवेश और निकास मार्गो पर और उन स्थानों से भी जिन्हें दिल्ली के उच्च अपराध दर वाले स्थान चिन्हित किया गया है।”
न्यायालय ने दिल्ली के लोगों की सुरक्षा में कमी के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की खिंचाई की, और गृह मंत्रालय व वित्त मंत्रालय से पूछा कि दिल्ली पुलिस के लिए 4,700 से अधिक चौकियों की मंजूरी क्यों नहीं दी।