भोपाल-जस्टिस एस के गंगेले प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने जज के सभी प्रशासनिक अहिकार छीन लिए हैं.सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य जांच समिति गठित करते हुए मप्र के जजों को अयोग्य मानते हुए इस जांच समिति से दूर रखा है.
सुप्रीम कोर्ट ने उच्चन्यायालय के रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है की इस जज की कारगुजारी को जनता के सामने लाये और वेबसाइट पर प्रकाशित भी करे.
महिला जज ने यौन प्रताड़ना के बाद यह शिकायत की थी जिसे उच्च न्यायालय के जजों ने रफा दफा कर दिया.सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद यह फैसला आया है.
1. आइटम सॉन्ग पर नाचो
दिसंबर 2013 में जज की पत्नी ने मुझे फोन कर कहा, जज साहब चाहते हैं कि मैं उनकी शादी की सालगिरह पर आइटम सॉन्ग पर नाचूं। मैंने बेटी के जन्मदिन का बहाना बना जाने से मना कर दिया।
2. बात नहीं मानी, तो तबादला
जज ने 21 जून को मुझे देर शाम बंगले पर बुलाया। मैं अगली सुबह पति के साथ गई। जज ने 15 दिन बाद बुलाया। फिर सीधी कोर्ट तबादला कर कहा, मेरी इच्छा पूरी न करने के कारण तबादला किया है।
3. कॅरियर तबाह कर दूंगा
बेटी का शैक्षणिक सत्र पूरा न होने के बावजूद सीधी भेजा। मैंने रजिस्ट्रार जनरल से 8 माह का एक्सटेंशन मांगा, पर आवेदन अस्वीकार हो गया। मैं जज से मिली तो करियर तबाह करने की धमकी दी।
4. काम से भी खूबसूरत हो
जनवरी 2014 में सालाना गुप्त रिपोर्ट में जज ने मेरा काम उत्कृष्ट बताया। फिर फरवरी में एक शादी के दौरान मेरी 16 वर्षीय बेटी के सामने कहा, तुम्हारा काम शानदार है, पर तुम उससे भी खूबसूरत हो।