प्रेस क्लब में बुधवार को ‘जेण्डर न्याय में पुरुषों व लड़कों की भूमिका’ पर आयोजित गोष्ठी में उन्होंने कहा कि पिछले 10-15 सालों से नागर समाज और सरकार जेण्डर समानता के मुद्दे उठा रही है। जिससे इनमें कुछ सकारात्मक सुधार भी देखने को मिले हैं।
इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता अरूनधति धुरू ने कहा, “विभिन्न आन्दोलनों के अंतर्गत जेण्डर न्याय की दिशा में पुरुषों व लड़कांे के साथ के काम को जोड़ा जाना जरूरी है। इसके लिए दलित, छात्र, महिला, मजदूर आदि का आपस मंे एक साथ आना व समायोजन भी बेहद जरूरी है।”
यूएन विमेन से जुड़ी पीयूष एण्टोनी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जेंडर न्याय की दिशा में पुरुषों व लड़कों के साथ काम के महत्व को समझा जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग स्तर पर प्रभावी रणनीतियां बनाई जा रही हैं। महिला समाख्या की निदेशक स्मृति सिंह ने कहा कि महिलाओं के साथ किए जाने वाले कार्यो में पुरुषों व लड़कांे के साथ के काम को देखा जा सकता है। जिससे महिला आन्दोलन को भी बल मिलेगा।
गोष्ठी में लविवि की पूर्व कुलपति रूपरेखा वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता गुरजीत सिंह, माध्वी कुकरेजा व छात्रों ने भी अपने विचार रखे।