मुंबई, 15 सितम्बर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र के मुंबई और अन्य हिस्सों में गुरुवार को अनंत चतुर्दशी के मौके पर भगवान गणेश को अंतिम विदाई दी जा रही है।
भगवान गणेश की ‘उत्तर पूजा’ के बाद गणेश की हजारों की संख्या में बड़ी, मध्यम और छोटी मूर्तियों को ‘गणपति बप्पा मोर्या, पुंडचया वार्षि लावकर या के नारों के बीच’ विभिन्न घाटों पर विसर्जन के लिए लेकर जाया जा रहा है।
इस जुलूस में नर्तक, संगीत बैंड के सदस्य, डीजे भी हैं। लोग जुलूस में हिस्सा ले रहे लोगों और मूर्तियों पर रंग व फूल बरसा रहे हैं।
मुंबई के भाऊसाहेब लक्ष्मण जावले उर्फ भाऊ रंगारी ने 1892 से इस त्योहार को सार्वजनिक तौर पर खुले में मनाने की पहल की। यह पर्व 125 साल से मनाया जा रहा है।
स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में 1893 में लोगों को ब्रिटिश राज के विरुद्ध एकजुट करने के लिए व्यापक स्तर पर इस पर्व को मनाया।
मुंबई पुलिस, मुंबई नगर पालिका (बीएमसी), नौसेना, भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) और अन्य एजेंसियों ने गणेश भगवान के सुरक्षित विसर्जन के लिए विभिन्न इंतजाम किए हैं।
विसर्जन के लिए प्राकृतिक एवं कृत्रिम जलाश बनाए गए हैं।
बीएमसी ने इस मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती, सीसीटीवी, मेटल डिटेक्टर, खोजी कुत्तों और अन्य सुरक्षा गैजेट के अलावा दमकलकर्मियों, गोताखोरों की तैनाती की है। नौसेना और आईसीजी विसर्जन प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। हेलीकॉप्टर, स्पीडबोट, नौसेना पोतों को भी किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति के लिए तैयार रखा गया है।
इस साल जेलीफिश और स्टिंगरे से बड़ा जोखिम है, इसलिए भक्तों को पानी में नंगे पैर नहीं जाने की सलाह दी गई है।
गणेशोत्सव के अंतिम दिन गुरुवार को गणेश की एक लाख से अधिक बड़ी और छोटी मूर्तियों को विसर्जित किया जाएगा।
मुंबई और तटीय कोंकण क्षेत्र में गुरुवार सुबह से ही भारी बारिश हो रही है, जिससे विसर्जन प्रक्रिया मंद पड़ सकती है।
गणेश की बड़ी मूर्तियों के विसर्जन के लिए लोकप्रिय विसर्जन घाटों में अरब सागर भी है। बीएमसी ने मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम जलाशय भी बनाए हैं।