उज्जैन-महाकाल मंदिर प्रशासक जयंत जोशी और पूर्व संभागायुक्त शिवशेखर शुक्ला पर लोकायुक्त ने जांच पंजीबद्ध कर ली है.महाकाल मंदिर को लेकर यह शिकायत जयराम चौबे ने लोकायुक्त से की है। लोकायुक्त को दिए शपथ-पत्र में मंदिर में चल रहे भ्रष्टाचार और नियमों के विपरीत किए जाने वाले कार्यों का सिलसिलेवार ब्योरा दिया है। चौबे ने बताया कि मंदिर प्रशासक जयंत जोशी मंदिर की व्यवस्था को निजी उद्योग की तरह संचालित कर रहे हैं। जोशी पर आरोप है कि उन्होंने मंदिर परिसर के अन्य मंदिरों में बाहरी पुजारियों को नियुक्त कर व्यवस्था को ठेेके पर उठा दिया। वे इन मंदिरों में होने वाली लाखों की आय में से अपना कमीशन ले रहे हैं। मंदिर में जोशी ने पद का दुरुपयोग कर मनमाने ढंग से कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी। मंदिर को लेकर इस शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच पंजीबद्ध करते हुए मामले को जांच में लिया है.
जिन बिन्दुओं पर प्रकरण दर्ज किया गया
-भस्मारती में चंदे के नाम से अवैध वसूली के लिए कटोरा घुमाने की अनुमति दी। 15-20 हजार रु. प्रतिदिन के चंदे की राशि मंदिर समिति को न जाते हुए एक पुजारी को दी जा रही है।
-मंदिर में पंडे-पुजारी के परिजनों और रिश्तेदारों को नियुक्तकर दिया है, जिसके कारण पंडे-पुजारी लाखों रुपए कमा रहे हैं। �
-मंदिर एक्ट में नाड़ा बांधने की परंपरा नहीं है, लेकिन मंदिर परिसर में विभिन्न मंदिरों में पुजारियों से सांठगांठ कर यह नई व्यवस्था शुरूकर दी। अकेले सिद्धि विनायक मंदिर के अवैध पंडित ने तीन-चार कर्मचारी भी रख लिए और हजारों रु. कमाए जा रहे हैं।
-प्रशासक जोशी ने विज्ञापन जारी किए बगैर ही सैकड़ों कर्मचारियों को मंदिर में नौकरी दे दी। इमसें कुछ शासन से सेवानिवृत्त हैं। यह पेंशन भी ले रहे हैं और मंदिर से वेतन प्राप्त कर रहे हैं।
-भस्माआरती अनुमति पास के नाम पर कमीशनखोरी की जा रही है। इसमें मंदिर प्रशासक की मिलीभगत है।
-गर्भगृह में पाट पर बैठकर पूजन करवाने पर 1979 में रोक लगाई थी। फिर भी पुजारियों को पाट पर बैठने की अनुमति दे दी गई। श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाई गई नकदी, सोने-चांदी की भेंट ये पुजारी घर ले जा रहे हैं। �
-मंदिर एक्ट में किसी भी आपराधिक व्यक्तिको पुजारी या पुरोहित नियुक्त नहीं किया जा सकता। जोशी ने हत्या के केस में आजीवन सजा पाए मनीष शर्मा की पहचान छिपाकर प्रदीप शर्मा के नाम से प्रतिनिधि नियुक्तकर दिया।
-मंदिर एक्ट में पुजारी व पुरोहितों को अभिषेक की रसीद का 75 फीसदी देने का उल्लेख नहीं है। प्रशासक ने अपने पद का दुरुपयोग करके यह व्यवस्था लागू कर दी। अभिषेक के लिए 11, 21 व 51 हजार रुपए तक की रसीद काटी जाती है।
-ऑडिट विभाग ने आर्थिक अनियमितता की सैकड़ों आपत्ति दर्ज की। प्रशासक जोशी ने इनका निराकरण नहीं करके करोड़ों रुपए का नुकसान करवा दिया।
-मंदिर में सहायक प्रशासक पद नियुक्तिका उल्लेख नहीं है। प्रशासक ने बगैर बजट स्वीकृति के पूर्व तहसीलदार दिलीप गरुड़ व एमपी दीक्षित को नियुक्तकर दिया।
-मंदिर में 16 पुजारी और 22 पुरोहितों की नियुक्तिका आदेश जारी नहीं किया गया। प्रशासक इनसे अवैध रूप से काम करवा रहे हैं।
(लोकायुक्त को की गई शिकायत के अनुसार)