भोपाल, 27 मई (आईएएनएस)। राजनीतिक दल भले ही आधी आबादी (महिला) की बराबर हिस्सेदारी की बात करें, मगर उन्हें चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाते। मध्यप्रदेश में इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने कुल नौ महिलाओं को उम्मीदवार बनाया, जिनमें से सिर्फ चार महिला सांसद ही निर्वाचित हुई हैं, ये सभी भाजपा से हैं। इस तरह राज्य से निर्वाचित कुल सांसदों में से 14 फीसदी सांसद ही महिलाएं हैं।
राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं, जिसमें से भाजपा ने 28 और कांग्रेस ने एक पर जीत दर्ज की है। इनमें चार महिला सासद हैं जो भाजपा की हैं। कांग्रेस ने इस चुनाव में जहां पांच महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था, वहीं भाजपा ने चार महिलाओं को मैदान में उतारा था।
भाजपा ने इस बार के चुनाव में जिन चार महिलाओं को मैदान में उतारा था, उनमें सीधी से सिर्फ रीति पाठक ही ऐसी थीं, जिन्हें दोबारा चुनाव लड़ने का मौका दिया गया। इसके अलावा शहडोल से हिमाद्री सिंह, भिंड से संध्या राय और भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मौका दिया गया और सभी ने जीत दर्ज की है।
वहीं कांग्रेस ने खजुराहो से कविता सिंह, टीकमगढ़ से किरण अहिरवार, शहडोल से प्रमिला सिंह, राजगढ़ से मोना सुस्तानी और मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन को उम्मीदवार बनाया और इन सभी के खाते में शिकस्त आई।
पिछले आम चुनाव वर्ष 2014 पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात सामने आती है कि राज्य से पांच महिला सदस्य निर्वाचित हुई थीं। इनमें से सीधी से रीति पाठक, विदिशा से सुषमा स्वराज, इंदौर से सुमित्रा महाजन, बैतूल से ज्योति धुर्वे व धार से सवित्री ठाकुर थीं। इनमें से सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य कारणों व सुमित्रा महाजन को आयु 75 वर्ष से अधिक होने के कारण पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया तो धुर्वे व ठाकुर को लेकर पार्टी के पास रिपोर्ट अच्छी नहीं थी। लिहाजा, भाजपा ने बड़ा बदलाव किया।
राज्य में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सवा पांच करोड़ से ज्यादा मतदाता है। इनमें पुरुष मतदाता 2,68,42,970 और महिला मतदाताओं की संख्या 2,46,23,623 है। इस तरह राज्य में पुरुष और महिला मतदाता लगभग बराबर है। इसके बाद भी न तो पार्टियों ने महिलाओं को संख्या के आधार पर उम्मीदवार बनाया और न ही जनता ने स्वीकारा।