भोपाल, 22 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की सरकार मुकदमेबाजी को रोकने के लिए ‘तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) अधिनियम 2015’ को पारित कराने में सफल रही है। इस विधेयक के चलते वादी को मुकदमा लगाने से पहले न्यायालय की अनुमति लेनी होगी। इस विधेयक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ माना जा रहा है।
विधानसभा में मंत्री कुसुम महदेले ने बुधवार को मध्य प्रदेश तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) अधिनियम 2015 पेश किया। इस विधेयक को कांग्रेस और बसपा विधायकों द्वारा किए जा रहे हंगामे के बीच पारित कर दिया गया।
इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना लगाए गए मुकदमे को खारिज किया जाएगा। लिहाजा न्यायालय की अनुमति के बाद ही कोई मुकदमा दायर किया जा सकेगा।
इस विधेयक को पेश करते हुए मंत्री महदेले ने कहा कि यह देखा जा रहा है कि अन्य व्यक्ति को परेशान करने, कष्ट पहुंचाने और चिढ़ाने के लिए बगैर किसी आधार के तंग करने के लिए मुकदमा लगाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। सरकार ने इस मामले पर विचार किया और यह तय किया है कि एक नियम बनाकर इस प्रवृत्ति को रोका जाए। समाज के जागरुक लोगों और कांग्रेस ने इस विधेयक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुठाराघात बताया है।