आधिकारिक तौर पर गुरुवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य सरकार ने यह निर्णय लेते हुए इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को एक परिपत्र जारी किया है। यह कार्य प्रतिवर्ष वर्षाकाल की समाप्ति के बाद एक अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच वैज्ञानिक पद्धति से रेत संग्रहण की मात्रा का आकलन किया जाएगा। इसके बाद संबंधित जिला खनिज अधिकारी से आकलित मात्रा का सत्यापन भी कराया जाएगा।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, प्रदेश में प्रतिवर्ष वर्षाकाल से पहले और वर्षाकाल के बाद उत्खनित रेत खनिज की मात्रा एवं संग्रहित रेत खनिज की मात्रा का डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जो आगामी वर्ष के लिए खनन योग्य रेत खनिज की मात्रा का आकलन करने का आधार माना जाएगा।
बताया गया है कि रेत खदान की सीमाओं का निर्धारण और मात्रा का आकलन नदी की लंबाई में चिह्न्ति किया जाएगा। खदान की सीमाएं अक्षांश-देशांश के रूप में निर्धारित की जाएंगी। रेत खदान के दोनों ओर स्थानीय भौगोलिक परिस्थिति अनुसार पर्याप्त क्षेत्र विस्तार कर खदान का सीमांकन किया जाएगा।