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 मप्र में रेत माफिया से टकराना आसान नहीं! | dharmpath.com

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भोपाल, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में रेत माफिया से टकराना हर किसी के बूते का नहीं रहा है, जिसने भी इनसे टकराने की हिम्मत की, उन्हें इसके गंभीर नतीजे भुगतना पड़े हैं। किसी को जान गंवानी पड़ी, तो किसी की जान पर बन आई और कई को तो तबादलों का हिस्सा बनना पड़ा है। […]" />

Monday , 14 April 2025

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मप्र में रेत माफिया से टकराना आसान नहीं!

भोपाल, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में रेत माफिया से टकराना हर किसी के बूते का नहीं रहा है, जिसने भी इनसे टकराने की हिम्मत की, उन्हें इसके गंभीर नतीजे भुगतना पड़े हैं। किसी को जान गंवानी पड़ी, तो किसी की जान पर बन आई और कई को तो तबादलों का हिस्सा बनना पड़ा है।

भोपाल, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में रेत माफिया से टकराना हर किसी के बूते का नहीं रहा है, जिसने भी इनसे टकराने की हिम्मत की, उन्हें इसके गंभीर नतीजे भुगतना पड़े हैं। किसी को जान गंवानी पड़ी, तो किसी की जान पर बन आई और कई को तो तबादलों का हिस्सा बनना पड़ा है।

राज्य में लगभग हर क्षेत्र में माफिया सक्रिय है, इसे कोई नकार नहीं सकता। शिक्षण संस्थाओं में दाखिले या नौकरी की बात करें तो व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) सामने आता है, स्वास्थ्य का जिक्र आए तो अमानक दवाओं की आपूर्ति काफी कुछ कह जाती है। भूमि, खनिज और रेत माफिया तो राज्य में तेजी से फल-फूल रहा है।

पुलिस पर हुए हमलों पर पूर्व पुलिस महानिदेशक अरुण गुर्टू ने रविवार को आईएएनएस से कहा कि राजनीतिक दखलंदाजी बढ़ जाने की वजह से पुलिस की साख कमजोर पड़ रही है। इसी का नतीजा है कि लोग पुलिस को नुकसान पहुंचाने में भी हिचक नहीं दिखाते। इससे पुलिस का भी मनोबल गिरता है।

बात अगर रेत की जाए तो राजधानी के नजदीक के सीहोर जिले के दो वरिष्ठ अधिकारियों के बीते वर्षो में इसलिए तबादले किए गए थे, क्योंकि उन्होंने एक ऐसी कंपनी पर करोड़ों का जुर्माना लगा दिया था, जो सरकार से करीब का नाता रखती थी।

राज्य के हर हिस्से में रेत और खनिज माफियाओं का पुलिस और खनिज अमले से विवाद और मारपीट की खबरें आना आम रहा है, मगर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के मुरैना की तस्वीर ज्यादा ही भयावह है। यहां वर्ष 2012 में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी नरेंद्र कुमार को खनन माफिया के ट्रैक्टर से कुचल कर मार दिया गया था।

मुरैना जिले में खनन माफिया के वाहन से हुई आईपीएस अफसर की मौत के बाद पुलिस ने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 2013 में सरायछोला थाने की पुलिस ने अवैध खनन में लगे कई वाहन पकड़े तो माफियाओं का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने थाने पर ही हमला बोल दिया। गोलीबारी हुई, पुलिस के वाहनों में आग लगा दी गई और पकड़े गए वाहनों को छुड़ा कर ले गए। इतना ही नहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस.एस. चहल ने अवैध खनन के वाहन को पकड़ा तो उसके वाहन पर भी माफिया ने वाहन चढ़ाने की कोशिश कर डाली।

अब रेत माफिया के बीच में आरक्षक (कांस्टेबल) धर्मेद्र सिंह चौहान आया तो उसे भी मौत के घाट उतार दिया गया। धर्मेद्र एक जांबाज जवान था, वह सेना से वीआरएस लेकर पुलिस की नौकरी में आया था और उसने माफिया के डंपर को पकड़ने की कोशिश की तो उसे जान गंवानी पड़ गई।

उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ भी अवैध खनन पर चिंता जता चुकी है और उसने सुरक्षा के विशेष इंतजाम करने को कहा था। चंबल नदी में रेत खनन पर रोक लगे होने के बाद भी खनन का कारोबार खूब फल-फूल रहा है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने रविवार को मीडिया से बातचीत में सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि अवैध खनन हो रहा है, राज्य में अराजकता का माहौल है, और सरकार माफियाओं पर लगाम नहीं लगा पा रही है। वहीं दिल्ली में रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में माफियाओं की बढ़ती हरकतें सरकार के लिए एक चुनौती बन गई है, सरकार दावे बहुत करती है, मगर वे पूरे होते नजर नहीं आते। अब देखना होगा कि सरकार एक जवान की ‘हत्या’ को कितनी गंभीरता से लेती है।

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