भोपाल, 18 जनवरी (आईएएनएस)। इन दिनों देश में भले ही कुछ लोग अपनी बयानबाजी से सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रहार कर रहे हों, मगर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एक मुस्लिम परिवार ने न केवल एक लावारिस मिली हिंदू बच्ची का पालन-पोषण किया, बल्कि उसकी हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंदिर में शादी कर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की।
भोपाल, 18 जनवरी (आईएएनएस)। इन दिनों देश में भले ही कुछ लोग अपनी बयानबाजी से सांप्रदायिक सद्भाव पर प्रहार कर रहे हों, मगर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एक मुस्लिम परिवार ने न केवल एक लावारिस मिली हिंदू बच्ची का पालन-पोषण किया, बल्कि उसकी हिंदू रीति-रिवाज के साथ मंदिर में शादी कर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश की।
राजधानी भोपाल के करीब नर्मदा नदी के बुदनी घाट के करीब बने राम जानकी मंदिर का शनिवार रात का नजारा आम दिनों से जुदा था, क्योंकि यहां एक मुस्लिम परिवार एक अनाथ युवती का हिंदू-रीति रिवाज से विवाह कर रहा था।
लगभग 15 वर्ष पूर्व बरखेड़ा रेलवे स्टेशन पर शारदा नाम की बालिका लावारिस हालत में मिली थी। उसके शरीर पर काफी जख्म थे, और उसे अपनाने को कोई तैयार नहीं हो रहा था, तब इस बालिका को रायसेन जिले के गौहरगंज की नवप्रभात संस्था को सौंप दिया गया। इस संस्था का संचालन हसीन परवेज और डॉ. नूरुन्निसा संचालित करती है। इस संस्था ने शारदा का लालन-पालन अपने परिवार की बेटी की तरह किया।
संस्था संचालकों ने शारदा को बेटी की तरह पाला और उसकी पढ़ाई में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। ब्यूटीशियन के पाठ्यक्रम के लिए भोपाल भेजा। उसके बाद हसीन परवेज ने शारदा का घर बसाने के लिए प्रयास तेज कर दिए। उन्होंने शारदा के लिए गौहरगंज तहसील के ही अम्बाई गांव में योग्य वर के तौर पर दुर्गाप्रसाद पटेल को पाया।
शारदा शनिवार को दुर्गाप्रसाद के साथ परिणय सूत्र में बंध गई। वैवाहिक संस्कार राम जानकी मंदिर में हुआ। वैदिक मंत्र गूंजे और शारदा का कन्यादान मुस्लिम परिवार ने किया। यह मौका हर किसी को भावुक कर देने वाला था, क्योंकि एक हिंदू युवती की मांग में मुस्लिम परिवार सिंदूर भर रहा था।
डॉ. नूरुन्निसा कहती हैं कि उन्होंने शारदा का पालन-पोषण अपने अन्य बच्चों की तरह किया, आज वे उसका विवाह भी कर रही हैं।
विवाह संपन्न कराने वाले पंडित मनोहर लाल कहते हैं कि मुस्लिम परिवार द्वारा एक युवती का हिंदू रीति रिवाज से विवाह कराना सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल बन गई है। इस विवाह से हिंदू और मुस्लिम परिवार आपस में रिश्तेदार बन गए हैं।
शारदा और दुर्गाप्रसाद की शादी कौमी एकता की मिसाल बन गई है। हिंदू रीति-रिवाज से एक मुस्लिम परिवार द्वारा युवती का विवाह उन लोगों के लिए एक सीख है जो धर्म के नाम पर इंसानों को लड़ाने में भरोसा करते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।