(खुसुर-फुसुर)– मप्र के प्रशासकीय विभाग के एक मंत्री जी सिर्फ लाल -बत्ती पाकर सुखी महसूस कर रहे हैं क्योंकि किसी भी लिखा-पढ़ी का अधिकार उनके पास नहीं है.परिचितों से वे कहते नजर आते हैं की भैया कहो तो फ़ोन कर देता हूँ हस्ताक्षर के अधिकार तो आका जी के पास हैं.
मप्र की यह विडम्बना ही है की सभी अधिकारों का लोकतंत्र में भी केन्द्रीकरण है.इन सब उपचारों का असर यह है की लोकतंत्र में भी तानाशाही शुरूर पर है.मंत्री जी का कहना है भैया लालबत्ती का सुख मिल रहा क्या यह कम है ?वर्ना लाले तो इसके भी थे.