भोपाल, 29 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) जनजातीय बहुल इलाकों के साथ कई विधानसभा क्षेत्रों के नतीजे प्रभावित करने की क्षमता रखती है, यही कारण है कि कांग्रेस और सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी इस दल से समझौते की कोशिश में है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी का कहना है कि सम्मानजनक सीटें दिए जाने पर ही समझौता संभव है।
भोपाल, 29 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) जनजातीय बहुल इलाकों के साथ कई विधानसभा क्षेत्रों के नतीजे प्रभावित करने की क्षमता रखती है, यही कारण है कि कांग्रेस और सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी इस दल से समझौते की कोशिश में है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष मनमोहन शाह बट्टी का कहना है कि सम्मानजनक सीटें दिए जाने पर ही समझौता संभव है।
बट्टी ने राजधानी प्रवास के दौरान आईएएनएस से बातचीत में कहा, “आदिवासियों के लिए जल, जंगल और जमीन सबसे अहम है, वर्तमान दौर में उससे यही सब छीना जा रहा है, खनिज की खदानें उद्योगपतियों को सौंपी जा रही है, जंगल की कटाई जारी है, इसके चलते आदिवासियों की संस्कृति ही खतरे में पड़ गई है। इसे बचाने की गोंगपा लड़ाई लड़ रही है।”
राज्य की 230 सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। बट्टी का दावा है कि आदिवासियों का प्रदेश की लगभग 100 सीटों पर प्रभाव है, वर्तमान में आदिवासी जमीन विहीन होता जा रहा है, नर्मदा नदी के किनारे आदिवासियों की संस्कृति बसती है, वर्तमान दौर में इसे नष्ट किए जाने की साजिशें रची जा रही है। एक तरफ धर्म और संस्कृति पर हमले हो रहे हैं तो दूसरी ओर सरकारी नौकरी के बैगलॉग पदों को नहीं भरा जा रहा है, रोजगार के अवसर न मिलने पर आदिवासी पलायन को मजबूर है।
बट्टी का कहना है, “आगामी विधानसभा चुनाव में उनका दल सम्मानजनक सीटें चाहता है, अगर कोई दल ऐसा करता है तो वे उसके साथ समझौता कर सकते हैं, नहीं तो 100 से ज्यादा सीटों पर गोंगपा चुनाव लड़ेगी। अभी समझौते की बात चल रही है, गोंगपा समझौते के आधार पर कम से कम 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।”
ज्ञात हो कि वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में गोंगपा के तीन विधायक हुआ करते थे और कांग्रेस को वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर सिर्फ गोंगपा के उम्मीदवारों के मैदान में उतरने के कारण हार का सामना करना पड़ा था। लिहाजा, कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में गोंगपा से समझौते के हरसंभव प्रयास कर रही है। गोंगपा में भाजपा से नाराजगी है, इस स्थिति में उसका कांग्रेस से समझौता होने की ज्यादा संभावना बनी हुई है।
बट्टी का कहना है कि आदिवासियों की अपनी कला, संस्कृति और धर्म है, मगर भाजपा सभी को हिंदू बताती है, यह आदिवासियों की संस्कृति को खत्म करने की साजिश का हिस्सा है। इससे आदिवासियों की पहचान ही खतरे में पड़ गई है। लिहाजा आदिवासियों की संस्कृति बचाने के लिए गोंगपा संघर्ष कर रही है और आगे भी करती रहेगी।
गोंडवाना पार्टी के कई धड़े होने के सवाल पर बट्टी ने कहा है कि अब प्रदेश में सिर्फ एक ही दल है और वह है गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, इसे सभी आदिवासियों का समर्थन हासिल है। इस बार सभी आदिवासी मिलकर चुनाव लड़ेंगे और अपनी ताकत दिखाने के साथ संस्कृति को बचाने में पीछे नहीं रहेंगे।