भोपाल, 24 जुलाई (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में हुए 44 लाख 74 हजार रुपयों की गड़बड़ी (गबन) के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की भोपाल स्थित विशेष अदालत ने पांच अधिकारियों सहित 12 लोगों को सजा सुनाई है। अदालत ने सभी दोषियों को तीन से पांच साल के कारावास और 50 लाख 70 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इनमें पांच आरोपी ईपीएफओ के कर्मचारी हैं।
सीबीआई की ओर से शुक्रवार को दी गई आधिकारिक जानकारी में बताया गया कि सीबीआई ने आठ नवंबर 2005 को एक प्रकरण दर्ज किया था। इसमें ईपीएफओ के क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ गजेंद्र सिंह पर आरोप था कि उसने वर्ष 2001 से 2003 के मध्य विभागीय कर्मचारियों और अन्य बाहरी लोगों की मदद से साजिश रची और 11 लोगों के प्रकरणों का निपटारा कर भविष्य निधि निकाल ली।
मामले में चौंकाने वाली बात यह थी कि सभी 11 लोग ईपीएफओ के सदस्य ही नहीं थे। यह धोखाधड़ी और साजिश थी। इसके लिए फर्जी दस्तावेज का भी इस्तेमाल किया गया था। इन प्रकरणों में राशि का भुगतान किए जाने से ईपीएफओ को 44 लाख 74 हजार रुपये का नुकसान हुआ।
सीबीआई द्वारा जारी बयान के अनुसार इस मामले की जांच के बाद 30 जून 2007 को सीबीआई की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया। इसके बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा तय की। फैसले के अनुसार ईपीएफओ के पांच कर्मचारियों सहित 12 दोषियों को तीन से सात साल तक की कैद और कुल 50 लाख 70 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
आधिकारिक बयान के अनुसार ईपीएफओ के गजेंद्र सिंह को सात वर्ष की कैद और 38 लाख रुपये का जुर्माना, प्रताप सिंह को पांच वर्ष की कैद और तीन लाख 80 हजार रुपये का जुर्माना, सी.टी. जोसफ को पांच वर्ष की कैद और दो लाख 30 हजार रुपये का जुर्माना, रामचंदर को पांच वर्ष की कैद और दो लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना और आर.डी. परांजपे को पांच साल की कैद व दो लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा बाहरी व्यक्तियों में राजेंद्र सिंह ठाकुर, मनीष गौर, रवि खंडारे, मनोज चौहान, राजेश कुमावत, बलराम चौहान तथा राकेश कौशल को कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई गई है।