भोपाल, 14 जून (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में अपनों से ठुकराई और अनाथ हो गईं युवतियों का जीवन अब खुशहाल बनने जा रहा है। महिला बाल विकास विभाग द्वारा संचालित पश्चातवर्ती गृह (अनाथालय जैसा) में रहने वाली 12 युवतियां सोमवार 15 जून को सरकार की कोशिशों से वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने जा रही हैं।
पश्चातवर्ती गृह ऐसी वयस्क बालिकाओं का आश्रय गृह है जो अनाथ हैं, जो अपने परिवार से प्रताड़ित और उपेक्षित हैं। इन बालिकाओं की देखरेख कर उनके अभिभावक बनकर महिला-बाल विकास विभाग उन्हें नया जीवन जीने के लिए न केवल प्रेरित करता है, बल्कि वे आत्मनिर्भर होकर अपना जीवन जी सके, इसके लिए उन्हें विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण भी देता है।
महिला बाल विकास विभाग द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि भोपाल स्थित पश्चातवर्ती गृह की जो बलिकाएं 15 जून को वैवाहिक जीवन में बंधने जा रही हैं, उनमें से चार बालिकाओं ने महिला पॉलिटेकि्न क से फैशन डिजाइन का कोर्स किया और अन्य ने जूट से सामान बनाने तो किसी ने अपनी इच्छानुसार सिलाई-बुनाई का प्रशिक्षण लिया है।
महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह ने इन सभी बालिकाओं के बेहतर पुनर्वास पर जोर दिया है। उन्होंने विभाग की समीक्षा बैठक में ऐसी लड़कियों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि विवाह के बाद भी माता-पिता के समान विभाग इन लड़कियों के नए परिवारजन से संपर्क में रहे और उनकी देखभाल करता रहे।
जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इन युवतियों के लिए महिला बाल विकास विभाग पूरी सजगता और सतर्कता से वर का चयन करता है। लड़कों का चयन, चाल-चलन, उसका परिवारिवारिक व्यवसाय आदि की पड़ताल के लिए छह माह की प्रक्रिया है। इसके लिए विधि सह परवीक्षा अधिकारी है, जो चयनित लड़कों की पड़ताल करता है।
बयान के अनुसार, सबसे पहले लड़कों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उनके दस्तावेजों का परीक्षण किया जाता है। जैसे आय का प्रमाण पत्र, व्यवसाय की जानकारी, नौकरी में है तो उसकी जानकारी। इस रपट पर खरे उतरने वाले परिवार से फिर शादी की बातचीत शुरू की जाती है।
बयान में कहा गया है कि पहले लड़का-लड़की मिलते हैं। इस बातचीत के बाद सबसे पहले लड़की की पसंद पूछी जाती है। इसके लिए उसे दो दिन का समय दिया जाता है। जब वह हां कर देती है, तब लड़के से पूछा जाता है। दोनों की सहमति के बाद लड़की को लड़के के परिवार से मिलवाया जाता है।
बयान के अनुसार, स्टाम्प पेपर पर इस बात का वादा परिवार वालों से करवाया जाता है कि वे कभी भी लड़की को अनाथ होने का ताना नहीं देंगे। जीवन-भर अपनाएंगे, इसकी गारंटी ली जाती है। इसके बाद शादी की स्वीकृति कलेक्टर से ली जाती है।
पश्चातवर्ती संगठन ने तीन वर्ष पूर्व आईं 12 बालिकाओं के विवाह तय किए हैं। इन बालिकाओं के लिए जो लड़के चयनित किए गए वे सभी कमाऊ हैं।