सतना (मध्य प्रदेश), 3 अप्रैल (आईएएनएस)। सतना जिले के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी का रविवार को लोकार्पण किया गया। यानी विंध्य क्षेत्र में एक बार फिर सफेद बाघ के दीदार होने लगेंगे।
सतना (मध्य प्रदेश), 3 अप्रैल (आईएएनएस)। सतना जिले के मुकुंदपुर में दुनिया की पहली व्हाइट टाइगर सफारी का रविवार को लोकार्पण किया गया। यानी विंध्य क्षेत्र में एक बार फिर सफेद बाघ के दीदार होने लगेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तथा केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने मुकुंदपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में व्हाइट टाइगर सफारी का लोकार्पण किया। इस सफारी में सफेद बाघों के साथ ही अन्य वन्य प्राणियों के भी दीदार सैलानी कर सकेंगे।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, सफेद बाघों की उत्पत्ति विंध्य के रीवा जिले से मानी जाती है। यहां के राजा मार्तण्ड सिंह को 1951 में पहला सफेद बाघ (मोहन) मिला था और आज दुनिया में जितने भी सफेद बाघ हैं, उन्हें उसी मोहन का वंशज बताया जाता है। वक्त गुजरने के साथ विंध्य क्षेत्र सफेद बाघ विहीन हो गया। बीते कुछ वषरें में चली कोशिशों ने अंतत: मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी का रूप लिया है।
यानी लगभग 40 वर्षो बाद एक बार फिर यहां सफेद बाघों की दहाड़ सुनी जा सकेगी और उनके दीदार भी हो सकेंगे।
सफारी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मुकुन्दपुर व्हाइट टाइगर सफारी लगभग 1,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र में विस्तृत है। इसमें जू एण्ड रेस्क्यू सेंटर, ब्रीडिंग सेंटर भी बनाए गए हैं। यहां इस समय तीन सफेद बाघ, दो बंगाल टाइगर और कुछ भालू हैं, जिन्हें पर्यटक आसानी से देख सकेंगे। यहां वन्य प्राणी पिंजरों में नहीं खुले बाड़े में रहेंगे।
राज्य के उर्जा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि नौ नवम्बर, 2015 वह ऐतिहासिक तारीख थी, जब सफेद बाघिन विंध्या मुकुन्दपुर व्हाइट टाइगर सफारी की मेहमान बनी।
उन्होंने बताया कि सफेद बाघ मोहन की मौत के बाद उसके वंशज 1976 तक रीवा के गोविंदढ़ में रहे थे।