भोपाल, 8 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लगातार तीन बार चुनाव जीतने का इतिहास रच चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं को अब अपनी ही पार्टी के तौर-तरीकों में खोट नजर आने लगा है और वे भाजपा में घट रहे घटनाक्रम को कांग्रेस की हालत से जोड़कर देखने लगे हैं। इशारों-इशारों में तो वे यहां तक कह रहे हैं कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो उनकी पार्टी का भी हाल वही होगा जो राज्य में कांग्रेस का हुआ।
भोपाल, 8 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में लगातार तीन बार चुनाव जीतने का इतिहास रच चुकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं को अब अपनी ही पार्टी के तौर-तरीकों में खोट नजर आने लगा है और वे भाजपा में घट रहे घटनाक्रम को कांग्रेस की हालत से जोड़कर देखने लगे हैं। इशारों-इशारों में तो वे यहां तक कह रहे हैं कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो उनकी पार्टी का भी हाल वही होगा जो राज्य में कांग्रेस का हुआ।
उल्लेखनीय है कि राज्य में भाजपा संगठन से नाराज नेता या सत्ता में हिस्सेदार लोग, गाहे-बगाहे ऐसे बयान दे जाते हैं, जो पार्टी को मुसीबत में डाल देते हैं। एक बार फिर ऐसा ही कुछ हो रहा है। नेताओं और मंत्रियों के ऐसे बयान आ रहे हैं, जिससे संगठन और सत्ता दोनों ही कटघरे में खड़े नजर आते हैं।
सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव ने पार्टी की स्थिति पर चिंता जताई है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “पार्टी में वैचारिक मतभिन्नता नहीं है, लेकिन मतभेद हैं और कहीं-कहीं विधानसभा व लोकसभा क्षेत्र स्तर पर यह देखने को भी मिल रहा है। राज्य में कांग्रेस का जैसा क्षरण हुआ था वैसा ही भाजपा में हो रहा हैं। पार्टी में कहीं-कहीं जो स्थितियां देखने को मिलती हैं, वह ठीक नहीं हैं। इसे वरिष्ठ नेताओं को देखना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, इसलिए कार्यकर्ता के मान-सम्मान का ख्याल रखना होगा। पार्टी में कहीं-कहीं जो हो रहा है, उससे नुकसान ही होगा।”
भार्गव के बयान के बाद भाजपा के एक विधायक पन्ना लाल शाक्य का भी ऐसा ही कुछ बयान आया है। उन्होंने कहा, “संगठन के पदाधिकारियों और मंत्रियों की कार्यकर्ताओं से दूरी बढ़ रही है। जब लोगों से मिलेंगे ही नहीं तो ठीक वैसा ही हाल होगा जैसा कांग्रेस का हुआ था।”
उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से नहीं, बल्कि खुद से होगा, ऐसे हालात बन रहे हैं।
इन दो नेताओं से पहले भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में मेट्रो लाने के लिए चल रही कोशिशों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ट्वीट के जरिए मेट्रो लाने के सरकार के प्रयासों की तुलना बैलगाड़ी से कर डाली थी। बाद में उन्होंने दूसरा ट्वीट कर इसके लिए प्रशासनिक अमले को जिम्मेदार ठहराया था।
विजयवर्गीय से पहले उम्रदराज होने के कारण मंत्रिमंडल से हटाए गए वरिष्ठ नेता बाबू लाल गौर व सरताज सिंह भी अपने बयानों के जरिए सरकार व पार्टी को मुसीबत में डालते रहे हैं।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान पार्टी को लेकर की जाने वाली बयानबाजी से नाखुश हैं। उन्होंने विजवर्गीय के बयान पर कहा कि पार्टी इससे सहमत नहीं है और उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए, क्योंकि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।
उन्होंने विजयवर्गीय पर चुटकी लेते हुए कहा कि वह दिल्ली में रहते हैं, जिसके कारण मध्य प्रदेश में पार्टी के काम को नहीं समझ पा रहे हैं।
नेताओं की बयानबाजी से पार्टी के भीतर चल रहे द्वंद्व उभरकर सामने आने लगे हैं। पार्टी का नेतृत्व लगातार बयानबाजी से दूर रहने की हिदायतें देता आ रहा है, पर असर किसी पर नहीं हो रहा है। यह इस बात की ओर इशारा करने के लिए काफी है कि नेतृत्व की पकड़ कमजोर पड़ने लगी है।