(खुसुर-फुसुर)– मप्र के गृहमंत्री बाबूलाल गौर की नीमच यात्रा संदेह के घेरे में आ गयी है.आनन्-फानन में इस कार्यक्रम का तय होना एवं घटनास्थल जा कर भी पीड़ित परिवारों के घर न जा उन्हें तवज्जो न देना इस यात्रा के मंतव्य को स्पष्ट कर रहा है.सूत्र बता रहे हैं की पीड़ित कोई भी हों मृत्यु किसी की भी हो लेकिन फेक्ट्री तो अडानी जी की है.कांग्रेस ने भी इस विषय पर सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी कर ली है.
बाबूलाल गौर के अधीन वैसे ही मप्र की पुलिस व्यवस्था पर प्रश्न-चिन्ह लगा हुआ है,गौर साहब अमित शाह की उम्र सीमा के दायरे में भी हैं ऐसे में घटनास्थल जा कर पीड़ितों को प्राथमिकता न देते हुए फेक्ट्री और उसके प्रबंधन को प्राथमिकता देना कई कयासों को जन्म देता है.