भोपाल, 5 जून (आईएएनएस)। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो समाज के लिए ही बने होते हैं, उनका लक्ष्य अपने लिए किसी नफा-नुकसान का आकलन किए बगैर सिर्फ समाज के लिए काम करते जाना होता है। मध्य प्रदेश में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्यावरण की शुद्धि के लिए वर्षो से खुद को झोंके हुए हैं, मगर उन्हें जानता कोई नहीं है। पर्यावरण सुरक्षा के इन गुमनाम नायकों ने अपने अपने क्षेत्र में हालांकि बड़ा काम किया है।
बुरहानपुर जिले के मनोज तिवारी पेशे से शिक्षक हैं और गायत्री परिवार से जुड़े हुए हैं। वह अपने क्षेत्र में पहाड़ियों को हरा-भरा करने के साथ ताप्ती नदी को प्रदूषण मुक्त करने की मुहिम में जुटे हुए हैं।
तिवारी ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि बुरहानपुर जिले में गायत्री परिवार की श्रीराम शर्मा उपवन योजना के तहत चार पहाड़ियों- देव्हरी, सारोला, फोपनार और देडतलाय को हरा-भरा किया जा चुका है। इसके अलावा ताप्ती नदी के किनारों पर पौधे लगाने का अभियान चल रहा है।
ताप्ती नदी के बुरे हाल की चर्चा करते हुए तिवारी कहते हैं कि इस नदी का सफाई अभियान चल रहा है। प्रति रविवार आमजन श्रमदान कर नदी से कचरा निकालते हैं। इस नदी में प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं विसर्जित की जाती थीं। लेकिन अब जनसामान्य की मांग पर जिलाधिकारी ने नगर में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाने पर ही रोक लगा दी है।
ताप्ती नदी के शुद्धिकरण के अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले मनोज ने आगे कहा कि वर्ष 2009 में शुरु हुए इस अभियान के तीन लक्ष्य- जलशुद्धि, तटशुद्धि और ग्रामशुद्धि है। बैतूल के मुलताई से लेकर सूरत तक नदी के दोनों ओर हरियाली चूनर ओढ़ाने के लिए पौधे रोपे जा रहे हैं।
इसी तरह देवतालाब के सगड़ोद में माखन लाल मकवाना पर्यावरण के लिए अपने को समर्पित कर चुके हैं। वे विभिन्न क्षेत्रों में जाकर पौधरोपण तो करते ही हैं, साथ ही अब तक अपने स्तर पर 10 हजार से ज्यादा पौधे विकसित कर वितरित भी कर चुके हैं।
मकवाना बताते हैं कि वे प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवंबर के माह में नीम, बरगद आदि पौधे विकसित कर उन्हें पॉलीथिन की थैलियों में रखते हैं। इस काम में उनके मित्र भी मदद करते हैं। वे पिछले कई वर्षो से यह काम करते आ रहे हैं।
पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम कर रहे ये वे नायक हैं, जो बगैर किसी सरकारी मदद के अपने अभियान को अंजाम दिए जा रहे हैं। उनकी यह कोशिश न केवल कारगर हो रही है, बल्कि औरों को सीख भी दे रही है।