भोपाल, 24 अप्रैल-कोरोनावायरस संक्रमण के खिलाफ दुनिया भर में लड़ाई जारी है। मध्य प्रदेश भी इसमें पीछे नहीं है। यहां हर व्यक्ति और वर्ग अपनी क्षमता के मुताबिक लड़ाई में योगदान दे रहा है। दिव्यांग भी इस लड़ाई में ट्राईसायकिल पर सवार होकर अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने में लगे हैं। राज्य के लगभग आधा हिस्से में कोरोना वायरस दस्तक दे चुका है। इसके नियंत्रण के लिए एहतियाती कदम उठाए गए हैं। जरूरतमंदों की मदद के प्रयास जारी हैं। इस काम में वे लोग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, जो दिव्यांग हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जारी एक बयान में ऐसे कई दिव्यांग ट्राईसायकिल योद्धाओं का जिक्र है।
बयान के अनुसार, गुना के जोगी मुहल्ला में दिव्यांग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मनीषा ओझा प्रतिदिन अपनी ट्राईसायकिल पर हितग्राहियों के घर-घर जाकर पोषण-आहार का वितरण कर रही हैं। जब वह लोगों को कोरोना से बचाव की सलाह देती हैं, तो वे न सिर्फ मनीषा की बात मानते हैं, बल्कि कहते भी हैं कि आपके हौसले बुलंद हैं।
गांव वाले कहते हैं कि जब मनीषा दिव्यांग होकर संकट के समय यह काम कर रही हैं, तो वे भी उनकी बातों को अपनाकर कोरोना जैसी बीमारी से बचाव कर सकते हैं।
इसी तरह मंदसौर जिले में प्रेमपुरिया गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कंचन गायरी अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करने में लगी हैं। वह भी दिव्यांग हैं। वह अपनी ट्राईसाइकिल से घर-घर जाकर पूरे गांव को कोरोना से बचाव का पाठ पढ़ा रही हैं। बचपन से ही दिव्यांग कंचन सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखती हैं। अपनी ट्राईसाइकिल के पास किसी को नहीं आने देतीं। दूसरों को भी वह यही सलाह देती हैं कि घर पर रहो, सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखो।
रीवा जिले के मढी गांव की दिव्यांग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सरोज शुक्ला हितग्राहियों को घर-घर जाकर हाथ धोने की सलाह तो दे रही हैं, साथ ही हाथ धोने की कम लागत वाली व्यवस्था टीपी टैप भी बनवा रही हैं।
महिला-बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन ने बयान में कहा है, “हम सभी कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की चिंता कर रहे हैं, इसलिए इन्हें भी कोविड योद्घा मानते हुए बीमा-योजना में शामिल कराया गया है।”
महिला-बाल विकास आयुक्त नरेश पाल कुमार ने बयान में कहा, “आंगनवाड़ी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अपने दायित्व के निर्वहन में वे किसी से पीछे नहीं हैं।”