भोपाल, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में आर्थिक अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने रविवार को राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के नोडल अधिकारी नंदकुमार को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले सॉफ्टवेयर कंपनी ओस्मो के तीन अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
भोपाल, 14 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश की पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में आर्थिक अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने रविवार को राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के नोडल अधिकारी नंदकुमार को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले सॉफ्टवेयर कंपनी ओस्मो के तीन अधिकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
ईओडब्ल्यू के सूत्रों ने बताया, “ई-टेंडरिंग में हुई छेड़छाड़ के मामले की जांच जारी है। सॉफ्टवेयर कंपनी के तीन अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और वे पुलिस रिमांड पर हैं। उनसे पूछताछ का दौर जारी है। परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के नोडल अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है।” नंदकुमार की गिफ्तारी काफी अहम मानी जा रही है।
ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में कंप्यूटर इमर्जेसी रेस्पॉन्स टीम (सीईआरटी) की रपट से गड़बड़ी की बात सामने आई थी। इसके बाद बुधवार को ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज की। गुरुवार को ईओडब्ल्यू के दल ने मानसरोवर स्थित ओस्मो फाउंडेशन के दफ्तर पर दबिश दी और तीन अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया था।
मध्य प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कर्पोरेशन लिमिटेड (एमपीएईडीसी) के ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के संचालन का काम सॉफ्टवेयर कंपनियों के पास था। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में ई-टेंडरिंग घोटाले ने तूल पकड़ा था। तब यह बात सामने आई थी कि सॉफ्टवेयर कंपनियों के सहारे टेंडर हासिल करने वाली निर्माण कंपनियों ने मनमाफिक दरें भरकर अनधिकृत तरीके से दोबारा निविदा जमा कर दी। इससे टेंडर चाहने वाली कंपनी को लाभ मिल गया। ईओडब्ल्यू ने सीईआरटी की रपट के आधार पर मामला दर्ज किया।
ईओडब्ल्यू के अनुसार, 3,000 करोड़ रुपये के ई-टेंडरिंग घोटाले में साक्ष्य और तकनीकी जांच में पाया गया है कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मप्र सड़क विकास निगम के एक और लोक निर्माण की पीआईयू के एक टेंडर कुल मिलाकर नौ टेंडर में सॉफ्टवेयर के जरिए छेड़छाड़ की गई। इसके जरिए सात कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। इन कंपनियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।