Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 मप्र : कांग्रेस में रोजाना बैठकों से एकजुटता की कवायद | dharmpath.com

Saturday , 11 January 2025

Home » भारत » मप्र : कांग्रेस में रोजाना बैठकों से एकजुटता की कवायद

मप्र : कांग्रेस में रोजाना बैठकों से एकजुटता की कवायद

भोपाल, 26 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की कांग्रेस इकाई के सामने एक कठिन प्रश्न है कि क्या कांग्रेस कभी एकजुट हो पाएगी? बीते तीन दशक में इसका जवाब ‘न’ में ही मिलता, लेकिन अब जिला स्तर पर रोजाना की बैठकों के जरिए आपसी समन्वय और एकजुट करने की बातें हो रही हैं, जो नए सवाल पैदा करते हैं। अगर कांग्रेस नेताओं में इतना समन्वय होता तो पार्टी का यह हाल ही क्यों होता!

भोपाल, 26 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की कांग्रेस इकाई के सामने एक कठिन प्रश्न है कि क्या कांग्रेस कभी एकजुट हो पाएगी? बीते तीन दशक में इसका जवाब ‘न’ में ही मिलता, लेकिन अब जिला स्तर पर रोजाना की बैठकों के जरिए आपसी समन्वय और एकजुट करने की बातें हो रही हैं, जो नए सवाल पैदा करते हैं। अगर कांग्रेस नेताओं में इतना समन्वय होता तो पार्टी का यह हाल ही क्यों होता!

राज्य में कांग्रेस डेढ़ दशक से सत्ता से बाहर है, उसके बाद भी कांग्रेस के दिल्ली में बैठे आलाकमान को लगता है कि प्रदेशाध्यक्ष के बदलने और कई बड़े नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने से राज्य में पार्टी की हालत सुधर जाएगी, मगर इसकी गुंजाइश कम ही नजर आती है। पार्टी के भीतर समन्वय की कोशिश कहीं और खाई पैदा न कर दे, इसका खतरा जरूर मंडरा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है, “दिग्विजय सिंह अपनी समन्वय यात्रा के जरिए कांग्रेस के नेताओं को एकजुट करने में सफल रहे तो यह यात्रा अभूतपूर्व और ऐतिहासिक होगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो पार्टी को नुकसान होना तय है। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस में जिला स्तर पर एक-एक दिन की बैठकों से आपसी समन्वय हो पाएगा?”

राज्य में विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने वाले हैं, चुनाव के लिए बमुश्किल पांच से छह माह का ही वक्त बचा है। इसके बावजूद कांग्रेस में गुटबाजी अभी भी है। यह बात जुदा है कि गुटबाजी खुलकर सामने नहीं आ रही है। पार्टी के नए अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया अपना प्रभाव दिखाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाया होने दे रहे हैं। इससे पार्टी में क्या संदेश जा रहा है, इसकी उन्हें परवाह भी नहीं है।

पिछले दिनों कांग्रेस के चार पदाधिकारियों को सिर्फ इसलिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, क्योंकि उन्होंने बावरिया के सामने कुछ मुद्दों पर अपनी अलग राय जाहिर की थी। ये सभी पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव के समर्थक माने जाते हैं। इस पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने लामबंदी कर बावरिया के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना चुके हैं। उन्होंने दिल्ली कूच का ऐलान किया है।

यह घटनाक्रम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के खेमे से राजेंद्र सिंह गौतम को नवगठित समितियों का सदस्य बनाए जाने पर नाराजगी के स्वर उठे, क्योंकि यह पदाधिकारी नटराजन के खिलाफ मंदसौर से निर्दलीय चुनाव लड़ा था और नटराजन को हार मिली थी।

नटराजन के समर्थकों ने इस नियुक्ति पर अपना विरोध दर्ज करते हुए पद से इस्तीफा भी दिया। साथ ही नटराजन के इस्तीफे की खबर आई, जिस पर कमलनाथ ने सफाई दी और कहा कि उनकी स्वयं मीनाक्षी से बात हो गई है, इस्तीफे जैसी कोई बात नहीं है।

अभी यह घटनाक्रम चल ही रहे हैं और इस दौरान समन्वय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने 31 मई से रामराजा की नगरी ओरछा से पूजन कर समन्वय बनाने के लिए जिला स्तरों पर बैठकों का दौर शुरू करने का ऐलान कर दिया है। दिग्विजय के इस दौरे पर कई नेता सवाल उठा रहे हैं और कुछ ने पार्टी हाईकमान तक अपनी बात भी पहुंचाई है। पार्टी हाईकमान इसे प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मामला मान रहा है।

राजनीति के जानकारों की मानें तो दिग्विजय सिंह के शासनकाल की सड़कों की बुरी हालत और बिजली की समस्या को लोग अभी भूले नहीं हैं। दूसरी तरफ , भाजपा भी इस कोशिश में है कि दिग्विजय के दौरों को ज्यादा प्रचारित किया जाए, जिससे लोगों में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश जगाया जाए, ताकि कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का लाभ न मिले। यही कारण है कि भाजपा ने एक पुस्तिका जारी की थी, जिसमें वर्ष 2002-03 और वर्ष 2017-18 की तुलना की गई है, जिसमें सड़कों का हाल, बिजली की स्थिति, सिंचाई का रकबा, कर्मचारियों की आय आदि का ब्यौरा दिया गया है।

कांग्रेस की मीडिया समिति के चेयरमैन मानक अग्रवाल का कहना है कि दिग्विजय सिंह की समन्वय यात्रा का मकसद सभी में समन्वय बैठाना है, जब उनसे पूछा गया कि क्या एक-एक दिन की बैठक से समन्वय संभव है तो उनका जवाब था कि बैठक और बातचीत से ही तो समन्वय बनता है।

कांग्रेस में गहरी दखल रखने वाले एक जानकार का कहना है कि राज्य में भाजपा के खिलाफ माहौल है, जनता सत्ता में बदलाव चाहती है, मगर कांग्रेस के कई लोग ही नहीं चाहते कि कांग्रेस को सत्ता हासिल हो। यही कारण है कि चुनाव से पहले पार्टी के लोग ऐसा माहौल बनाने में लग गए हैं, जो सत्ता से दूरी और बढ़ा दे।

मप्र : कांग्रेस में रोजाना बैठकों से एकजुटता की कवायद Reviewed by on . भोपाल, 26 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की कांग्रेस इकाई के सामने एक कठिन प्रश्न है कि क्या कांग्रेस कभी एकजुट हो पाएगी? बीते तीन दशक में इसका जवाब 'न' में ही मिलता, भोपाल, 26 मई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश की कांग्रेस इकाई के सामने एक कठिन प्रश्न है कि क्या कांग्रेस कभी एकजुट हो पाएगी? बीते तीन दशक में इसका जवाब 'न' में ही मिलता, Rating:
scroll to top