भोपाल– मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार शासकीय जिला अस्पतालों का निजीकरण कर रही है। इसी साल मार्च में हुए कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया था की अस्पतालों को PPP मोड पर मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा और निजी कंपनियां इसका संचालन करेगी। इसके विरुद्ध स्वास्थ्य संगठनों ने मोर्चा खोल रखा है। रविवार को विभिन्न संगठनों ने प्रतिनिधियों ने राजधानी भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग की।
एमपीएमटीए-एमपी मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय, जन स्वास्थ्य अभियान के राष्ट्रीय सह संयोजक अमूल्य निधि सहित विभिन्न मेडिकल/नर्सिंग संगठनों के प्रतिनिधियों ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण है और कई प्रयासों के बावजूद सरकार भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों को लागू नहीं कर पाई है। अभी भी विशेषज्ञों के 2374 पद रिक्त है, जो स्वीकृत पदों का 63.73% है। चिकित्सा अधिकारियों के 1054 (स्वीकृत पदों का 55.97%) पद और दंत चिकित्सकों के 314 पद रिक्त है और इसलिए कई सीएचसी और जिला अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ और आवश्यक सहायक कर्मचारी नहीं है।