भोपाल-मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाला एक बार फिर तूल पकड़ने लगा है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआई को नोटिस भेजा है। वहीं, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार ने 45 ट्रांसपोर्ट कांस्टेबलों की नियुक्तियां निरस्त की है। 12 साल पहले इनकी अवैध रूप से नियुक्ति की गई थी। विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि इससे स्पष्ट हो गया है कि सरकार घोटाले में लिप्त थी। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने व्यापम घोटाले में सीबीआई की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मध्य प्रदेश में सीबीआई के जो अधिकारी जांच करने के लिए आए थे वो ही भ्रष्टाचार में पकड़े गए। इससे यह पता चलता है कि जांच करने वाले अधिकारी कितने सक्षम थे। इसलिए हम लोगों ने मांग की है कि हाई कोर्ट के किसी रिटायर वरिष्ठ जज की निगरानी में जांच करवाई जाए। आप देख सकते हैं कि व्यापमं घोटाले के आरोपियों द्वारा पत्रकार की हत्या कर दी जाती है। आरटीआई एक्टिविस्ट के साथ दुर्घटना हो जाती है। आज भी इन सब की जांच सरकार नहीं कर रही है। अगर सरकार जांच करती तो पब्लिक फोरम पर लेकर आती।
अरुण यादव ने कहा कि प्रदेश में व्यापमं परीक्षाओं के घोटाले का लंबी लिस्ट है। पिछले 10-12 सालों से लगातार कांग्रेस पार्टी के नेता और हमारे मीडिया के प्रभारी केके मिश्रा इस मुद्दे को सरकार और जनता को सामने रखते आए हैं। जब परिवहन की परीक्षा हुई तो गलत नियुक्तियां की गई। जब सरकार सुप्रीम कोर्ट गई तो कोर्ट के निर्देश पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस नियुक्ति को निरस्त किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि मध्य प्रदेश के परीक्षाओं में घोटाला हुआ। इसके बाद हाई कोर्ट के निर्देश पर आरक्षक की भर्ती को सरकार को निरस्त करना पड़ा। इससे स्पष्ट होता है कि व्यापम के माध्यम से परीक्षाओं में बड़े-बड़े घोटाले होते रहे हैं। सीबीआई की जांच हुई लेकिन इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। प्रदेश की जनता जानना चाहती है कि सीबीआई ने क्या जांच की है। अगर सरकार ने घोटाला नहीं किया है तो सारी चीजें पब्लिक प्लेटफॉर्म पर आनी चाहिए।
अरुण यादव ने कहा कि क्या कारण है कि प्रदेश के 1 लाख 47 हजार नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले जिस घोटाले में प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल के खिलाफ हाईकोर्ट के निर्देश पर FIR हुई। उनके बेटे और ओएसडी, तत्कालीन मुख्यमंत्री के ओएसडी, प्रेमप्रकाश जो CM के सरकारी निवास पर ही रहते थे। वे अग्रिम जमानत पर रिहा हुए इस मामले में मंत्री जेल गए। कई आईएएस, आईपीएस के नाम सामने आए। कई शिक्षा माफियाओं, साल्वर्स सहित व्यापम के अधिकारी-कर्मचारी लंबे समय तक जेल में रहे। तो रिश्वत देने वाले अभ्यर्थियों, उनके अभिभावकों को आज भी ट्रायल कोर्ट से लंबी सजाएं हो रही हैं। यानी परीक्षाओं में घोटाले हुए, जो बिना भ्रष्टाचार के संभव नहीं थे। यदि जांच पारदर्शी थी तो बड़े-बड़े मगरमच्छ आज बाहर क्यों हैं?