नई दिल्ली। लाखों हिंदुओं की आस्था का केंद्र हरिद्वार का मनसा देवी मंदिर सार्वजनिक ट्रस्ट माना जाए या निजी ट्रस्ट, ये बात अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट की याचिका पर कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार, हरिद्वार के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), हरिद्वार विकास प्राधिकरण सहित 12 लोगों को नोटिस जारी किया है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने 20 नवंबर, 2012 को मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट को पब्लिक ट्रस्ट ठहराने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इन्कार करते हुए कहा था कि जैसे ही जनता मूर्ति की पूजा करने लगती है मूर्ति का ट्रस्ट सार्वजनिक ट्रस्ट का रूप ले लेता है। चूंकि ट्रस्ट का उद्देश्य केवल मंदिर की मूर्ति की ठीक से सेवा-पूजा करना है, इसलिए यह धार्मिक सार्वजनिक ट्रस्ट है।
गत शुक्रवार को न्यायमूर्ति एचएल दत्तू व न्यायमूर्ति जेएस खेहर की पीठ ने मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट की ओर से पेश वकील डीके गर्ग की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किए। गर्ग ने मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट को सार्वजनिक ट्रस्ट मानने के हाई कोर्ट के आदेश का विरोध करते हुए कहा कि मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट निजी ट्रस्ट है और लोगों के पूजा करने से निजी ट्रस्ट सार्वजनिक नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि जो संपत्ति शुरुआत से निजी संपत्ति है, बाद में उसका रूप नहीं बदल सकता। इसे सार्वजनिक धार्मिक पूजास्थल नहीं कहा जा सकता। मनसा देवी की मूर्ति और उसके साथ स्थापित गुरुमाता महंतिनी सरस्वती देवी की मूर्ति हमेशा से निजी संपत्ति रही है। पीठ ने उनकी दलीलें सुनने के बाद याचिका का जवाब दाखिल करने के लिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। मनसा देवी ट्रस्ट की याचिका में कहा गया है कि जब तक कि ट्रस्ट पर अनियमितताओं आदि का आरोप न हो, हाई कोर्ट ट्रस्ट के खिलाफ आदेश कैसे दे सकता है। वह जिलाधिकारी व एसएसपी को ट्रस्ट के रोजाना कामकाज की देखरेख का आदेश कैसे दे सकता है? याचिका में हाई कोर्ट के 3 जनवरी, 2012 के आदेश का भी विरोध किया गया है।
मालूम हो कि हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर 3 जनवरी, 2012 के फैसले में हरिद्वार में गंगा सभा तथा मनसा देवी ट्रस्ट व चंडी देवी ट्रस्ट को निर्देश दिया था कि वे अपने दानपात्र हटा लें। हालांकि हाई कोर्ट ने तीनों को ट्रस्टियों द्वारा जारी रसीद पर दान एकत्र करने की अनुमति दे दी थी। हाई कोर्ट ने इतना ही नहीं, मनसा देवी मंदिर को दान में मिली रकम और चढ़ावे का खाता ठीक ढंग से रखने का निर्देश दिया था और कहा था कि दान और चढ़ावे में आई रकम सिर्फ कल्याणकारी व धार्मिक कार्यो में ही इस्तेमाल की जाएगी। हाई कोर्ट ने हरिद्वार के जिलाधिकारी व एसएसपी को मनसा देवी ट्रस्ट का पदेन सदस्य बना दिया था और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा था कि खाता ठीक से रखा जाए और एकत्र रकम का इस्तेमाल सिर्फ कल्याणकारी व धार्मिक कार्यो में हो। इस फैसले के खिलाफ मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट ने हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद मंदिर ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है।