नई दिल्ली, 1 अप्रैल (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राहत देते हुए विशेष अदालत की ओर से उन्हें भेजे गए सम्मन पर बुधवार को रोक लगा दी। अदालत ने तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक की हिस्सेदारी उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को आवंटित करने के संबंध में उन्हें सम्मन भेजा था।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी.गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति सी.नागप्पन की पीठ ने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत की ओर से 11 मार्च को पूर्व प्रधानमंत्री को भेजे गए सम्मन पर रोक लगा दी।
इससे पहले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने विशेष अदालत द्वारा मनमोहन को सम्मन भेजने वाले 11 मार्च के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि आवंटन में गैरकानूनी क्या था?
सिब्बल ने सवाल किया, “क्या खदानों का आवंटन करना अवैध है? क्या खनन के लिए निजी कंपनियों को चुनना अवैध है?”
उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री संचालन समिति के फैसलों की समीक्षा और तलाबीरा-2 के एक हिस्से को हिंडाल्को को आवंटित कर जनहित में प्रतिस्पर्धा को संतुलित नहीं कर सकते?
सिब्बल ने कहा कि कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए दिशानिर्देशों की प्रकृति संवैधानिक नहीं है, लिहाजा प्रधानमंत्री किसी भी वक्त दिशानिर्देशों को दरकिनार कर निर्णय ले सकते हैं।
न्यायालय ने मनमोहन को भेजे गए सम्मन पर रोक लगाते हुए विशेष अदालत के 11 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी नोटिस जारी किया।
न्यायालय ने कुमार मंगलम की याचिका पर केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की एक धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।
सर्वोच्च न्यायालय ने मनमोहन के साथ ही कुमार मंगलम, पूर्व केंद्रीय कोयला सचिव पी.सी.पारेख, डी.भट्टाचार्य और हिंडाल्को को भेजे गए सम्मन पर भी रोक लगा दी।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 25 मार्च को विशेष अदालत के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने 11 मार्च, 2015 को मनमोहन को वर्ष 2005 में ओडिशा के तालबीरा-2 और तालबीरा-3 कोयला ब्लॉक के एक हिस्से को कुमार मंगलम बिड़ला की कंपनी हिंडाल्को को आवंटित करने के मामले में सम्मन जारी कर न्यायालय में पेश होने के लिए कहा था।
अदालत ने मनमोहन, कुमार मंगलम, पारेख, भट्टाचार्य को भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी आदि के लिए सम्मन भेजा था।
अदालत ने इस मामले में सीबीआई की तरफ से पेश समापन रपट खारिज करते हुए मनमोहन, कुमार मंगलम, भट्टाचार्य और पारेख को सम्मन जारी किया था।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा, “यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है और यह मामला न्यायालय के अधीन है।”
भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने आईएएनएस से कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया है और हर किसी को कानून से निश्चित अधिकार मिले हुए हैं।
उन्होंने कहा, “यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है और हर नागरिक चाहे उसका कद जो भी हो, उसे कानून के तहत समान अधिकार मिले हुए हैं।”