संयुक्त राष्ट्र, 6 फरवरी (आईएएनएस)। आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सदस्यों द्वारा दो जापानी नागरिकों की हत्या के बावजूद जापान द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अपनाई गई अपनी शांतिवादी नीति का परित्याग नहीं करेगा और इसलिए इन घटनाओं की प्रतिक्रियास्वरूप वह मध्य-पूर्व में सैनिक नहीं भेजेगा, बल्कि वहां गैर-सैन्य मानवीय सहायता जारी रखेगा।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता यासुहिसा कवामुरा ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, “हम आतंकवाद से कभी हार नहीं मानेंगे और हम इस क्षेत्र के लिए अपने शांतिपूर्ण योगदान की अपनी पुरानी नीति को नहीं बदलेंगे।”
मध्य-पूर्व में आतंकवाद से निपटने के लिए सेना भेजे जाने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “इस समय हम इस तरह के विकल्पों पर विचार नहीं कर रहे हैं। मैंने पहले ही कहा है कि ऐसे देश, जो आतंकवाद से पीड़ित हैं और जहां इस तरह की गतिविधियां हैं, वहां जापान गैर-सैन्य मानवीय सहायता उपलब्ध कराएगा।”
दो जापानी नागरिकों की हत्या से पहले जापान में हाल ही में जापानी संविधान के अनुच्छेद नौ को बदलने पर चर्चा हुई थी, जो जापान को किसी देश पर आक्रमण करने से रोकता है। पिछले साल दोबारा जापान के प्रधानमंत्री निर्वाचित होने वाले शिंजो अबे ने इस विवादास्पद संशोधन को आगे ले जाने की घोषणा है, जिसके बाद पूरा विश्व चिंतित है।
अबे ने 24 दिसंबर, 2014 में टोक्यो में एक संवााददाता सम्मेलन में इस संविधान संशोधन को ‘ऐतिहासिक बदलाव’ करार देते हुए कहा था कि हालांकि यह आसान काम नहीं है, फिर भी वह नेशनल डाइट (जापानी संसद) में इस मुद्दे पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि दोनों सदनों में इसे समर्थन मिल सके।