धर्मपथ(खुसर-फुसर)– भोपाल स्थित भाजपा मुख्यालय में विधानसभा चुनाव की तरह ही वॉर-रूम बना हुआ है,पदाधिकारी भी वही हैं और उनके व्यवहार का तरीका भी वही,संगठन मंत्री अपने जोड़-तोड़ में व्यस्त हैं,किसी को खबर ही नहीं की लोक तंत्र को कतिपय तत्वों ने अपनी जागीर बना लिया है,जोड़-तोड़ में माहिर ये व्यवसायी अपने तालिबानी तरीके पर गर्व भी करते हैं.
घटना तो इस कार्यालय में रोज ही होती है लेकिन कल दो पत्रकारों के साथ घटी,बड़े बेनर के दो पत्रकार वॉर रूम के सेनापति से मुलाकात करने गये और हमेशा की तरह महोदय ने मीटिंग में व्यस्त हैं कह टरका दिया,यह तो हमेशा से होता है क्योंकि वॉर-रूम में वे ही पत्रकार मिलने जाते हैं जिनका कोई सीधा संबंद्ध सेनापति से नहीं है उन्हे मीटिंग में व्यस्त रहने का बहाना कर लौटा दिया जाता है या कहा जाता है 5 बजे के बाद आइये.जो की पत्रकार आ नहीं सकता,क्योंकि अखबार का समय हो जाता है.
कल इसकी शिकायत एक पत्रकार ने अनिल दवे से की,इन सेनापति महोदय के प्रभाव और अनजान पत्रकारों के प्रति इनके व्यवहार को देख वहां परिचारक भी जिस लहजे में व्यवहार करते हैं वह अशोभनीय होता है.क्योंकि वे सेनापति को जैसा बोलते देखते हैं वही वे भी करते हैं.लेकिन अब घड़ा भरता दिख रहा है,खोज खबर शुरू की गयी है कभी भी विस्फोट हो सकता है,क्योंकि वे तो दुखी और आक्रोशित हैं ही उन ख़बरनवीसों ने बताया की कलम ही अब जवाब देगी इनके अभिमान का.
खुसर-फुसर यह है की चूहे का धन(ताकत)कहाँ गड़ा है ,उसकी पातासाजी में सूत्रों को लगा दिया गया है और यहाँ से इन्दौर तक सूत्र जागृत किये गये हैं.अब देखना यह है की यह हंगामा कहाँ तक जाता है,क्योंकि जब धागा खिंचता है तो कहाँ तक खुलेगा कोई नहीं जानता,खबर तो यह भी है की इस खींचतान में अपने आपको बाबा(संत)कहने वाले उनके आका भी लपेटे में आ सकते हैं.