भोपाल :मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश को बासमती चावल की खेती वाला क्षेत्र स्वीकार करने के भौगोलिक सांकेतक पंजीयक, चेन्नई के फैसले के विरूद्ध कृषि और खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ‘एपीडा’ द्वारा बौद्धिक संपदा अपीलीय मंडल, चेन्नई में अपील दायर करने पर गहरा क्षोभ और निराशा व्यक्त की है। श्री चौहान ने कहा कि भौगोलिक सांकेतक पंजीयक, चेन्नई के पास मध्यप्रदेश ने राज्य के किसान संगठनों के साथ पिछली एक शताब्दी से ज्यादा समय से पारम्परिक रूप से बासमती चावल का उत्पादक प्रदेश प्रमाणित करने के लिये अनगिनत अविवादित और प्रामाणिक प्रमाण दिये हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के बासमती चावल की गुणवत्ता उत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में उत्पादित बासमती से अधिक नहीं है तो कम भी नहीं है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसी आशय का पत्र केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार, केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री आनन्द शर्मा को भी लिखा है।
श्री चौहान ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि एपीडा जिसके पास कृषि उत्पादन के निर्यात को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी है, उत्तरी भारत के कतिपय निहित स्वार्थों के दबाव में आ गया है। उन्होंने संस्था द्वारा अपने ही आदेश के विरूद्ध व डब्ल्यूटीओ एवं इंटरनेशनल कोर्टस् की आड़ में जीआई के 31 दिसम्बर 2013 के आदेश के विरूद्ध याचिका दायर करने को मध्यप्रदेश के किसानों के जायज व वैधानिक अधिकारों पर चोट बताया है। श्री चौहान ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि एपीडा को पाकिस्तान में पैदा हुए बासमती पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मध्यप्रदेश को बासमती उत्पादक क्षेत्र में शामिल करने में आपत्ति है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि राज्य ने सफलता के साथ यह सिद्ध किया है कि बासमती चावल का संबंध मध्यप्रदेश से बहुत पुराना है। भौगोलिक सांकेतक चेन्नई ने राज्य के वस्तुपरक दस्तावेजों को मान्य कर 31 दिसम्बर 2013 को एपीडा को निर्देशित किया कि वो मध्यप्रदेश को बासमती चावल पैदावार राज्य के रूप में शामिल करे। राज्य के बासमती किसानों ने इस निर्णय का स्वागत किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि मैं आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा कि मध्यप्रदेश में 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 5 लाख मीट्रिक टन बासमती चावल पैदा हुआ था। राज्य में पैदा होने वाला बासमती चावल मानक गुणवत्ता का होता है जिसे विदेशी बाजारों में भी इस सीमा तक पसंद किया गया है कि अमेरिका को भारत से निर्यात किये जाने वाले बासमती में मध्यप्रदेश का हिस्सा 40 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कहा कि राज्य ने भौगोलिक सांकेतक चेन्नई में सिद्ध कर दिया है कि मध्यप्रदेश पारम्परिक रूप से बासमती उतपादक क्षेत्र है। श्री चौहान ने एपीडा द्वारा उठाये गये कदम को मध्यप्रदेश के बासमती किसानों के अधिकारों, स्वयं एपीडा के आदेश तथा राष्ट्रहित के विरूद्ध बताया है। उन्होंने कहा कि एपीडा के इस कदम से भारत के निर्यात में काफी कमी आयेगी तथा इससे पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री से कहा कि मुझे नहीं पता कि याचिका दायर करने के निर्णय को आपका समर्थन है कि नहीं परन्तु मध्यप्रदेश के किसानों में स्पष्ट रूप से बेचैनी उत्पन्न हो रही है। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस मामले में तुरन्त हस्तक्षेप करते हुए एपीडा को निर्देशित करने को कहा है कि वह जीआई चेन्नई के 31 दिसम्बर 2013 के आदेश को पूर्ण रूप से स्वीकार करे। श्री चौहान ने प्रधानमंत्री से कहा है कि मैं बहुत विनम्रता के साथ इस पर बल देना चाहूँगा कि मैं और मध्यप्रदेश में मेरी सरकार बासमती किसानों के अधिकारों के लिये आवाज उठाते रहेंगे।