वाशिंगटन, 27 जनवरी (आईएएनएस)। दुनियाभर में मधुमक्खियों की घटती संख्या चिंता का कारण बन गई है। नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि अगर इनकी संख्या इसी तरह घटती रही, तो कुछ विकासशील देशों में कुपोषण का खतरा पैदा हो सकता है।
अमेरिका के वेरमांट विश्वविद्यालय तथा हावर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चार विकासशील देशों में इस बात का अध्ययन किया कि वे मधुमक्खियों द्वारा परागण (पॉलिनेशन) के परिणामस्वरूप उपजने वाले किन-किन फसलों को खाने के लिए इस्तेमाल में लाते हैं।
वेरमांट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक टायलर रिकेट्स ने कहा, “परागण की प्रक्रिया में भाग लेने वाले मधुमक्खियों की घटती संख्या से मनुष्यों में खासकर विटामिन ए की कमी का खतरा बढ़ रहा है।”
इसके कारण अंधा होना तथा मलेरिया सहित कुछ और बीमारियों के कारण मौत में बढ़ोतरी हो सकती है।
मधुमक्खियां ज्यादातर उन फसलों के परागण में भाग लेती हैं, जिनमें विटामिन ए की मात्रा भरपूर होती है।
यह केवल मधुमक्खियों की गिरती संख्या की बात नहीं है।
दुनियाभर के वैज्ञानिक परागण की प्रक्रिया में भाग लेने वाले कीटों की कई प्रजातियों की गिरती संख्या को लेकर चिंतित हैं। इससे दुनिया को होने वाले खाद्य आपूर्ति पर संकट गहरा गया है।
हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दुनियाभर में खाद्य उत्पादन में जो कमी आई है, उसका 40 फीसदी परागण में भाग लेने वाले कीटों की संख्या में कमी आने की वजह से हुई है।
यह अध्ययन पत्रिका ‘पीएलओएस ओएनई’ में प्रकाशित हुआ है।