चेन्नई, 31 मई (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा को ‘रोजा’, ‘बांबे’, ‘दिल से’ और ‘युवा’ जैसी चर्चित हिंदी फिल्में देने वाले निर्माता-निर्देशक मणिरत्नम मंगलवार को 60 साल के हो गए। उन्होंने अपने दो दशकों से लंबे करियर में न केवल सिने प्रेमियों का दिल जीता, बल्कि लेखकों, निर्देशकों व संगीतकारों को प्रेरित भी किया। वह निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।
चेन्नई, 31 मई (आईएएनएस)। भारतीय सिनेमा को ‘रोजा’, ‘बांबे’, ‘दिल से’ और ‘युवा’ जैसी चर्चित हिंदी फिल्में देने वाले निर्माता-निर्देशक मणिरत्नम मंगलवार को 60 साल के हो गए। उन्होंने अपने दो दशकों से लंबे करियर में न केवल सिने प्रेमियों का दिल जीता, बल्कि लेखकों, निर्देशकों व संगीतकारों को प्रेरित भी किया। वह निरंतर आगे बढ़ रहे हैं।
दक्षिण भारतीय फिल्मकार आर.एस. प्रसन्ना के लिए मणिरत्नम की फिल्म ‘इरुवर’ फिल्म निर्माण की ‘भगवद्गीता’ है।
प्रसन्ना ने आईएएनएस को बताया, “मेरे ख्याल से फिल्म में जिस तरह की फिल्म मेकिंग हुई, वह विश्वस्तरीय है। यह एक बायोपिक है, जो कहानी कहने के हिसाब से ‘नयागण’ से बहुत अलग है। ‘इरुवर’ में शॉट एवं एंगल के लिहाज से बहुत ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव है।”
प्रसन्ना ने कहा कि ‘इरुवर’ ही उन्हें एवं उनकी पहली फिल्म के सिनेमेटोग्राफर कृष्णन वसंत को दुनिया के सामने लाई।
उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी फिल्म है, जिसमें हर चीज इतनी कमाल की थी..यह बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई।”
मणिरत्नम ने फिल्म निर्देशक के रूप में अपनी पारी ‘पल्लवी अनु पल्लवी’ (1983) फिल्म से शुरू की और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने अपनी ज्यादातर फिल्में स्वयं बनाई।
साउंड डिजाइनर कुणाल रंजन ने कहा कि मणिरत्नम की ‘आयीथा एज्हुथु’ फिल्म ने उन पर कभी न मिटने वाली छाप छोड़ी। इसमें संगीत दोहरे ऑस्कर विजेता संगीतकार ए.आर. रहमान का था।
उनकी नजर में मणिरत्नम की ‘नयागण’ और ‘मौनारागम’ ने संगीत के प्रति उनका नजरिया बदला।
सिनेमेटोग्राफर मुरली का कहना है कि उन्होंने वृहत एंगल शॉट की कला मणिरत्नम की ‘इरुवर’ से ही सीखी।
उन्होंने कहा, “इस फिल्म में मणि सर ने फिल्म की अंधिकांश कहानी बयां करने के लिए अपने किरदारों का इस्तेमाल किया..यह एक प्रयोग था, लेकिन इसने अच्छा किया।”