नई दिल्ली: मणिपुर के मीडिया संस्थानों द्वारा विज्ञापनों के बकाया भुगतान न चुकाने के विरोध में राज्य की भाजपा सरकार संबंधी खबरों का बहिष्कार बीते दस दिनों से जारी है.इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मामले का जल्द कोई समाधान होता भी नजर नहीं आ रहा है.उल्लेखनीय है कि 15 अप्रैल को एडिटर्स गिल्ड मणिपुर (ईजीएम), ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू) और मणिपुर हिल जर्नलिस्ट यूनियन (एमएचजेयू) के प्रतिनिधियों और प्रकाशकों की एक संयुक्त बैठक में राज्य सरकार व मणिपुर भाजपा से 23 अप्रैल तक लंबित विज्ञापनों बिलों का भुगतान करने को कहा गया था लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.इसके अगले दिन से इस बहिष्कार को अमल में लाने का फ़ैसला किया गया.
अब ईजीएम के एक सदस्य ने बताया कि बहिष्कार के नौ दिन पूरे होने के बाद भी मीडिया निकायों को अब तक सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. ऐसे में जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनके पास बहिष्कार जारी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
इस बहिस्कार के दायरे में मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार, कैबिनेट मंत्रियों और सत्ताधारी विधायकों से संबंधित ख़बरों को रखा गया है. इसके साथ ही मीडिया संस्थानों ने सभी सरकारी विज्ञापनों को प्रकाशित करने से भी परहेज किया है, जिनमें सरकारी प्राधिकरण, पीडीए, एलडीए जैसे निगम भी शामिल हैं.
बहिष्कार में राज्यपाल, स्पीकर के कार्यालय से जुड़े समाचार, कोविड-19 एवं मेडिकल आपातकाल और अपराध से संबंधित खबरों को शामिल नहीं किया गया है.
मालूम हो कि इस बहिष्कार की वजह मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और मुख्य सचिव राजेश कुमार द्वारा लगातार दिए गए आश्वासन के बाद भी सरकार द्वारा विज्ञापनों का लंबित भुगतान करने में असफल रहना है. मीडिया संगठनों ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बाद पहले किए जा रहे बहिष्कार के आह्वान को टाल दिया था.
बताया गया है कि विज्ञापनों के करोड़ों रुपये के बिल सरकार के पास लंबित हैं. शुरुआत में बहिष्कार में भाजपा की मणिपुर इकाई और मणिपुर कांग्रेस को भी हालिया विधानसभा चुनाव के संबंध में दिए गए विज्ञापनों के लिए कई लाख रुपये के बिलों का भुगतान न करने के लिए शामिल किया गया था. बाद में उनके लंबित बिलों को मंजूरी देने के बाद राजनीतिक दलों को बहिष्कार से बाहर रखने का निर्णय लिया गया.