इम्फाल, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। मणिपुर में नगाओं की दो माह से जारी अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और संयुक्त नगा परिषद (यूएनसी) अपने रुख से नहीं हिल रहे हैं।
इम्फाल, 31 दिसम्बर (आईएएनएस)। मणिपुर में नगाओं की दो माह से जारी अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और संयुक्त नगा परिषद (यूएनसी) अपने रुख से नहीं हिल रहे हैं।
सरकार की दो नए जिले गठित करने की योजना के विरोध में यूएनसी ने एक नवंबर से ही अनिश्चितकालीन नाकाबंदी कर रखी है।
यूएनसी के अनुसार, नगाओं की बहुत सारी जमीन नए जिलों द्वारा हड़प ली जाएगी।
हालांकि, सरकार ने इसका जवाब दो नहीं, सात नए जिले बनाने की घोषणा के कर के दे दिया है।
सभी वर्ग के लोगों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि प्रशासनिक सुविधा के अलावा यह विकास की गति तेज करने के लिए लंबे समय से लंबित मांग थी।
इबोबी ने आईएएनएस से कहा कि सबसे पहले यूएनसी को नाकेबंदी खत्म करनी चाहिए और यह भरोसा देना चाहिए कि ऐसा फिर नहीं होगा। उसके बाद ही बात हो सकती है और यूएनसी के दो नेताओं गैदन कामेई और स्टीफन लैमकांग को रिहा किया जा सकता है ताकि एक बेहतर माहौल बनाया जा सके।
मुख्य सचिव ओइनाम नबकिशोर ने कहा, “यूएनसी की शर्तो में एक यह है कि बातचीत सेनापति जिला के मुख्यालय में होनी चाहिए।”
इसके जवाब में इबोबी ने कहा, “यूएनसी मुट्ठी भर लोगों का एक क्लब है। यदि सरकार सेनापति जिले में जाती है तो अन्य सभी संगठन भविष्य में इस तरह की शर्त रख सकते हैं। अधिक से अधिक हम प्रस्तावित त्रिपक्षीय वार्ता के लिए दिल्ली जा सकते हैं।”
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने हाल में कहा था कि नाकाबंदी को खत्म कराने को लेकर मणिपुर सरकार गंभीर नहीं है। इबोबी ने इससे यह कहकर इनकार किया है कि इसमें राजनीति करने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है क्योंकि यह राज्य की जनता के भूखे रहने का सवाल है।
एक नवंबर से जारी इस नाकेबंदी के परिणामस्वरूप मणिपुर में उपभोक्ता सामान, बच्चों की भोजन सामग्री, भवन निर्माण और अन्य सामग्री नहीं है।
रिजिजू ने नाकेबंदी को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है और राज मार्ग -37 पर ट्रकों और तेल टैंकरों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल भेजा है।
लेकिन यूएनसी ने कहा है कि वह अपने आंदोलन को और तेज करेगी।
शनिवार से उसने नगा बहुल पहाड़ी जिलों में सरकारी कार्यालयों का घेराव शुरू किया है।